फैज़ान खान, हरदोई/नई दिल्ली, NIT:
चुनाव में वोटिंग के दौरान बसपा के बूथ एजेंट रघुनंदन की हत्या मामले ने जबरदस्त तूल पकड़ लिया है। पीड़ित परिवार के घर जाने की जिद्द पर अड़े भीम सेना के प्रमुख नवाब सतपाल तंवर के शहर में दाखिल होते ही पुलिस प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए। बसपा सुप्रीमों मायावती के फोन पर पीड़ित परिवार से बात करने के बाद भीम सेना के सुप्रीमो नवाब सतपाल तंवर के हरदोई में दस्तक देते ही माहौल गर्म हो गया। मामले ने पूरी तरह से सियासत का रंग ले लिया है।
मायावती, सतपाल तंवर और चंद्रशेखर आजाद मामले को राजनीतिक तूल देने पर आमादा हैं। पुलिस के खुफिया विभाग को तंवर के आने की सूचना दो दिन पहले ही मिल गई थी। लेकिन इसे खुफिया तंत्र की नाकामी कहें या नवाब सतपाल तंवर का तेज दिमाग जो भारी नाकाबंदी होने के बावजूद आसानी से शहर में दाखिल हो गए।
हजारों कार्यकर्ताओं के साथ बिलग्राम के गांव गनीपुर जा रहे भीम सेना के मुखिया को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। आखिरकार रहुला गांव के पास सतपाल तंवर के काफिले को रोक लिया गया। कार की छत पर चढ़कर नवाब सतपाल तंवर ने वो दहाड़ लगाई कि वहां मौजूद पुलिस प्रशासन ने आनन फानन में भारी पुलिस बल को मौके पर बुलाना पड़ा।
सतपाल तंवर बोले मैं सरकार में नहीं हूं। जिस दिन मैं सरकार में आऊंगा उस दिन एक-एक पसीने की बूंद का बदला लिया जाएगा। वहां मौजूद पुलिस ने बल प्रयोग करके पूरे पांच घंटे तक हुड़दंग काटा। सतपाल तंवर को रोकने के लिए फायर ब्रिगेड, सीओ, एसडीएम, पुलिस की गाड़ियां, दंगाविरोधी वाहन बुला लिए गए। सतपाल तंवर बोलते रहे कि तंवर ने काम करने का तरीका बदला है तेवर नहीं। इस बीच उन्होंने भावनात्मक आवाज भी लगाई कि मुझे मेरे परिवार से मिलने दिया जाए। लेकिन पुलिस बल ने जबरन सतपाल तंवर की गाड़ी को वापिस घुमाकर हिरासत में ले लिया। सूत्रों के अनुसार सतपाल तंवर का अभी कुछ भी अता-पता नहीं है।
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