अशफ़ाक़ क़ायमखानी, ब्यूरो चीफ, जयपुर (राजस्थान), NIT:
19 अप्रैल को राजस्थान की बारह लोकसभा सीटों पर हुये मतदान के बाद बनी हवा का असर अब 26 अप्रैल को दुसरे फेज की तेराह सीटों पर होने वाले चुनाव पर भी पड़ता साफ नज़र आ रहा है।
भरतपुर में जाट आरक्षण को लेकर स्थानीय स्तर बने हालात का असर करोली-धोलपुर सीट पर भी देखने को मिला। किसान आंदोलन व अग्निवीर स्कीम का असर प्रदेश के जाट-गुर्जर-यादव व मुस्लिम कायमखानी समुदाय पर साफ पड़ता नज़र आया। भाजपा के खिलाफ जाट नाराज़गी खुलकर प्रदेश में देखी जा रही है। चूरु से राहुल कस्वा की भाजपा द्वारा टिकट काटना जाट नाराजगी में आग मे घी डालने का काम किया है।
लोकसभा चुनाव मे कांग्रेस द्वारा सचिन पायलट को काफी अहमियत मिलने से गुर्जर बिरादरी ने उनको राजनीति मे स्थापित करने का तय सा कर लिया है। गुर्जर बिरादरी इन लोकसभा चुनावों मे सचिन पायलट के इशारे मुताबिक मतदान करती नजर आई। यादव मत भी जाट-गुर्जर की लाईन अनुसार मतदान करता नजर आया। मीणा मतों का झुकाव इण्डिया गठबंधन की तरफ पहले से अधिक नज़र आया। जाट-मीणा-गुर्जर-यादव के बने गठजोड के साथ एससी व अलपसंख्यक मतों का जुड़ने का मतलब है कि राजस्थान में बड़ा खेला हो गया। भाजपा के पच्चीस सीटों के जीतने के दावे को लगता है कि ब्रैक लग गया।
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को मतदाताओं द्वारा खास तवज्जो नहीं देने के साथ पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का प्रचार से दूर रहना भाजपा को दिक्कत कर गया। भाजपा लोकसभा स्तर पर कई धड़ो में बंटी होने के साथ उनके कोर वोटों मे छाई उदासीनता भी उनके खिलाफ प्रभाव डालती नज़र आई।
कुल मिलाकर यह है कि 19-अप्रैल को प्रथम फेज की बारह लोकसभा सीटों पर हुये मतदान के बाद बनी हवा का असर 26-अप्रैल को होने वाले दूसरे फेज की तेराह सीटों पर होने वाले चुनावों पर भी पड़ेगा। यानि राजस्थान में खेला हो गया।
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