पश्चिमी महाराष्ट्र में आई कृत्रिम बाढ़ का मुद्दा विपक्ष की ओर से चुनाव प्रचार में क्यों नहीं है? सैकड़ों मौतें और हजारों करोड़ रुपए के नुकसान की ज़िम्मेदारी कौन लेगा? | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

पश्चिमी महाराष्ट्र में आई कृत्रिम बाढ़ का मुद्दा विपक्ष की ओर से चुनाव प्रचार में क्यों नहीं है? सैकड़ों मौतें और हजारों करोड़ रुपए के नुकसान की ज़िम्मेदारी कौन लेगा? | New India Times

18 वीं लोकसभा के लिए चुनाव आयोग की ओर से घोषित चरणबद्ध कार्यक्रम के तहत 7 मई को पश्चिम दक्षिण महाराष्ट्र की सभी 7 सीटों पर मतदान होना है। INDIA और NDA गठबंधन की ओर से प्रचार अभियान ने तेजी पकड़ ली है। भाजपा के युवा चौपालों मे भाषण से गर्वोत्पादन करने वाले वक्ताओं को सुनने के लिए लोगों की इतनी भीड़ हो रही है कि फोटो प्रेमियों को अपने कैमरे जूम मोड़ पर सेट कराकर रखना पड़ रहे है। दुनिया की सबसे अमीर पार्टी को अपने भाषणबाज कैडर को भाजपा का प्रचार करने के लिए बिहार और पश्चिम बंगाल भेजना चाहिए था वहा की जनता भी गर्व से गदगद हो जाती। 19 अप्रैल को महाराष्ट्र में पहले चरण के लिए वोट पड़ेंगे फिर 26 को दूसरा और तीसरे में 7 मई को पश्चिम दक्षिण महाराष्ट्र की सभी 7 सीट पर वोटिंग होगी।

पश्चिमी महाराष्ट्र में आई कृत्रिम बाढ़ का मुद्दा विपक्ष की ओर से चुनाव प्रचार में क्यों नहीं है? सैकड़ों मौतें और हजारों करोड़ रुपए के नुकसान की ज़िम्मेदारी कौन लेगा? | New India Times

इस इलाके की राजनीती से अलमट्टी डैम लाभक्षेत्र को लेकर महाराष्ट्र सरकार के कुप्रबंधन के कारण 2019 में आई कृत्रिम बाढ़ से मची तबाही का मुद्दा गायब कर दिया गया है। अगस्त 2019 के आखरी पखवाडे मे कृष्णा नदी के लाभक्षेत्र मे मूसलाधार बारिश हुई। कर्नाटक वीजापुर के अलमट्टी बांध के बैक वाटर के रिलीजिंग को लेकर महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने कर्नाटक सरकार से युद्धस्तर पर तालमेल बिठाने की कोई कोशिश नहीं करी। उस वक्त फडणवीस और उनकी कंपनी नवंबर 2019 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के मार्केटिंग के लिए प्लान की गई महा जन आशिर्वाद यात्रा में घूम रहे थे। नतीजतन फडणवीस ने कोल्हापुर सांगली को कृत्रिम बाढ़ में झोंक दिया। विपक्ष ने हल्ला मचाया तब सरकार ने हंसते मुस्कुराते चेहरे वाले मंत्रीयों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में जायज़ा लेने के लिए भेजा। बाढ़ के पानी के नीचे दबी सैकड़ों लोगों के शव और हजारों मवेशियों की लाशों के ऊपर नाव की सवारी करने वाले मंत्रियो द्वारा किया गया वाटर पिकनिक बाढ़ पीड़ित आज भी भुले नहीं है। अलमट्टी और अन्य कारकों के कारण पैदा कराई गई इस भयानक बाढ़ से एक लाख हेक्टेयर पर खड़ी फसले सड़ गई, खेती कटाव से बह गई। तब विपक्ष ने राज्य सरकार के माध्यम से केंद्र सरकार से पांच हजार करोड़ रुपए के राहत पैकेज की मांग की लेकिन मिला कुछ भी नहीं। पर्यावरण विशेषज्ञों ने सघन अनुसंधान कर अलमट्टी को क्लीन चिट देने का काम किया लेकिन सरकार 2019 की तबाही से से हाथ नही खींच सकती।


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