भारत में पहले कांग्रेस व अब भाजपा के खिलाफ मज़बूत गठबंधन बना हुआ नज़र आ रहा है, राजस्थान में इण्डिया गठबंधन के तहत नागौर रालोपा व सीकर की माकपा मिली सीट मज़बूत मानी जा रही है | New India Times

अशफ़ाक़ क़ायमखानी, ब्यूरो चीफ, जयपुर (राजस्थान), NIT:

भारत में पहले कांग्रेस व अब भाजपा के खिलाफ मज़बूत गठबंधन बना हुआ नज़र आ रहा है, राजस्थान में इण्डिया गठबंधन के तहत नागौर रालोपा व सीकर की माकपा मिली सीट मज़बूत मानी जा रही है | New India Times

भारत में 1977 व 1989 में कांग्रेस के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर बने मज़बूत गठबंधन ने जीतकर तत्तकालीन समय में सत्ता पर काबिज़ हुआ था। जिन दोनों समय कांग्रेस के खिलाफ बने गठबंधनों में भाजपा या उसकी मूल पार्टी जनसंघ गठबंधन में शामिल थी। उन दोनों समय के बने गठबंधनों के मुकाबले 2024 के आम चुनाव के लिये भाजपा के खिलाफ मजबूत इण्डिया गठबंधन बना है। जिस गठबंधन में कांग्रेस शामिल है। 1977 -1989  व 2024 के बने गठबंधन में फर्क इतना ही है कि समय समय पर कांग्रेस व भाजपा के खिलाफ गठबंधनों का बनना है।

भारत में पहले कांग्रेस व अब भाजपा के खिलाफ मज़बूत गठबंधन बना हुआ नज़र आ रहा है, राजस्थान में इण्डिया गठबंधन के तहत नागौर रालोपा व सीकर की माकपा मिली सीट मज़बूत मानी जा रही है | New India Times

कांग्रेस के खिलाफ 1977 में बने गठबंधन ने लोकसभा चुनाव में नागौर की एक मात्र सीट को छोड़कर बाकी सभी लोकसभा सीटों पर गठबंधन ने कब्जा जमाया था। तब नागौर से एक मात्र नाथूराम मिर्धा कांग्रेस की टिकट पर जीत पाये थे। इसी तरह 1989 में कांग्रेस के खिलाफ बने गठबंधन ने सभी पच्चीस सीटों पर कब्जा जमाया था। जिनमें 13 भाजपा व 11 जनता दल एवं 01 सीट माकपा ने जीती थी। माकपा के कामरेड श्योपत सिंह बीकानेर सीट से तब चुनाव जीते थे। 2024 का चुनाव परिणाम आयेगा तब बता चलेगा लेकिन इण्डिया गठबंधन को प्रदेश मे दस से तेराह सीट मिलने की सम्भावना जताई जा रही हैः। जबकि 2014 व 2019 में मोदी लहर के चलते सभी पच्चीस सीटो पर भाजपा ने कब्जा जमाया। 1989 मे गठबंधन में माकपा के सहयोग से जनता दल उम्मीदवार चोधरी देवीलाल सीकर से चुनाव जीतकर वीपी सिंह सरकार मे उपप्रधानमंत्री बने थे।

मोदी सरकार द्वारा किसान विरोधी तीन काले कानून लाने के खिलाफ चले किसान आंदोलन के तहत करीब तेराह महिने दिल्ली सीमा पर इण्डिया गठबंधन के सीकर के उम्मीदवार कामरेड अमरा राम के वहां रहकर आंदोलन चलाने से किसान व मजदूर तबके मे उनकी उजली छवि मे काफी इजाफा हुवा है। इस आंदोलन के अलावा राज्य सरकारों के खिलाफ भी अनेक सफल आंदोलन चलाने से अमरा राम के प्रति जनता मे समर्थन का फायदा उनको इस चुनाव में मिल रहा है।

सीकर लोकसभा क्षेत्र की धोद विधानसभा से तीन दफा लगातार व एक दफा 2008 में दांतारामगढ़ विधानसभा से कामरेड अमरा राम अपनी पार्टी के दम पर विधायक रहे हैं। विधायक बनने के बाद अमरा राम लोकसभा चुनाव भी अपने दम पर लड़ते रहे हैं। 1998 में हुये लोकसभा चुनाव में क्षेत्र में कुल तेराह लाख मतदाताओं से करीब सात लाख मतदाताओं ने मतदान किया था। जिनमें से करीब दो लाख मत अमरा राम को मिले थे। लड़े लोकसभा चुनाव में अमरा राम को उसी 1988 के लोकसभा चुनाव में अबतक के सबसे अधिक मत मिले थे। वर्तमान में सीकर लोकसभा क्षेत्र में बाईस लाख साठ हजार मतदाता है। जिनमें से तेराह-चोदाह लाख मत पड़ने की सम्भावना है। क्षेत्र में छ लाख जाट, दो-ढाई लाख यादव-गुर्जर मतदाता है।

चार लाख एससी एसटी व अढाई-तीन लाख मतदाता मुस्लिम मतदाता हैं। इसके अलावा मूल ओबीसी व स्वर्ण मतदाता है। कामरेड अमरा राम को खेती किसानी आधारित मतदाओ के अलावा मजदूर, छोटे व्यापारी, हाथ से काम करने वाला तबके के साथ साथ एससी एसटी व अल्पसंख्यक मतदाओं का बड़ा समर्थन मिलता नज़र आ रहा है। 2014 व 2019 के चुनाव में लहर के चलते आसानी से जीतने वाले भाजपा उम्मीदवार सुमेधानंद स्वामी के सामने इण्डिया गठबंधन उम्मीदवार अमरा राम ने कड़ी चुनौती खड़ी करके उनके मुकाबले इक्कीस की स्थिति पर आ गये हैं। अमरा राम का आम मतदाताओं से सीधा सम्बंध व लगाव होने के कारण वो अपस में अपनों के करीब मानते हैं। अमरा राम के मुकाबले सुमेधानंद का व्यवहार थोड़ा रुखा व मुश्किल से उपलब्धता वाला माना जाता है। कांग्रेस नेताओं की एकजुटता व आठ मे से छ विधानसभाओ के कांग्रेस विधायक होने सहित अनेक कारणो से अमरा राम की स्थिति वर्तमान समय में मज़बूत मानी जा रही है।

सीकर के अलावा लगती नागौर लोकसभा सीट पर इण्डिया गठबंधन मे राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को सीट मिली है। जहां हनुमान बेनीवाल चुनाव लड़ रहे है। नागौर सीट पर 2019 के लोकसभा चुनाव मे दोनो उम्मीदवारों के मध्य मुकाबला रहा है। वर्तमान भाजपा उम्मीदवार 2019 मे कांग्रेस की उम्मीदवार थी। तो सामने इण्डिया गठबंधन के तहत लड़ रहे उम्मीदवार हनुमान बेनीवाल तब भाजपा से समझौता के तहत पाई सीट पर लड़े थे। किसान आंदोलन के समय हनुमान बेनीवाल एनडीए छोड़कर किसान आंदोलन मे किसान हित में आवाज बूलंद की थी। उस घटना व लगातार किसान-मजदूर व कमजोर लोगो के लिये संघर्ष करते रहने से आम मतदाता उनको अपने मध्य का नेता मानता है। मतदाताओं का सीधा स्वयं के फोन उठाने व उनके दुख सूख मे सरलता से उपलब्ध होने की छवि उनको काफी फायदा पंहुचा रही है। भाजपा उम्मीदवार ज्योति मिर्धा के दल बदलने व बडे उधोगपति घराने से तालूक रखने से मतदाताओं को उनकी उपलब्धता मुश्किल से होने से मतदाता उनकी तरफ आकर्षित कम हो रहा है। बेनीवाल के बीना बिचौलियों के स्वयं मतदाओ के फोन उठाने से भी मतदाताओं के मनो मे उनके प्रति सहानुभूति देखी जा रही है।

कुल मिलाकर यह है कि इण्डिया गठबंधन मे समझोता के तहत सीकर की सीट माकपा व नागौर की सी रालोपा के मिलने से उनके उम्मीदवार कामरेड अमरा राम व हनुमान बेनीवाल भाजपा उम्मीदवारों पर भारी पड़ रहे है। वो अपनी सीट निकालते नज़र आ रहे है। जिसमें इनके पक्ष में कांग्रेस नेताओं की एकजुटता से साथ रहकर वोट दिलाने की हर मुमकिन कोशिश करना एवं दोनो उम्मीदवारों की किसान-मजदूर-मजलूम व परेशान छोटे छोटे व्यापारियों के साथ उनके हित में खड़े रहने की छवि का लाभ भी काफी मिलता दिख रहा है। वर्तमान चुनाव मे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपने बेटे दुष्यंत को बांरा-झालावाड़ व पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने बेटे वैभव गहलोत को जालोर-सिरोही सीट से जीतने मे उलझे हुये है। भाजपा से मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा व कांग्रेस की तरफ से पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने प्रचार का ज़ोरदार मोर्चा सम्भाल रखा है।


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By nit

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