अबरार अहमद खान/मुकीज खान, भोपाल (मप्र), NIT:
राजधानी भोपाल में ईद उल फितर का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। सुबह से ही बच्चे, बुजुर्ग, जवान और महिलाओं में ईद की नमाज अदा करने का उत्साह देखा गया। सुबह 07 बजे न्यू कबाड़ खाना स्थित जामा मस्जिद अहले हदीस में मौलाना मोहम्मद मुदस्सिर सल्फ़ी ने नमाज़ अदा कराई। उसके बाद उन्होंने अपने भाषण में सब से पहले अल्लाह की प्रशंसा की फिर नबी करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम पर दरूद भेजा।मौलाना मोहम्मद मुदस्सिर सल्फी ने लोगों से ख़िताब करते हुये कहा कि आज का दिन दुनिया के सारे मुसलमानों के लिए खुशी और मसर्रत का दिन है।
आज के दिन हम सब को अल्लाह का शुक्र अदा करना चाहिए क्यों कि रमज़ान में हमने जो भी इबादतें की हैं वह सब अल्लाह की तौफीक से ही अंजाम दी है। अगर अल्लाह की तौफीक शामिल न होती तो हम कुछ भी नहीं कर पाते।आज के दिन हम सब मुसलमानों को अल्लाह का शुक्र अदा करने के साथ अल्लाह से दुआ भी करना चाहिए कि ए अल्लाह हमने जो भी इबादतें की हैं तू उनको क़ुबूल कर ले, अल्लाह के नेक बंदे जब भी इबादत करते हैं तो इस बात पर डरते हैं कि कहीं अल्लाह उनकी इबादतों को बर्बाद न कर दे
मौलाना ने अपने खिताब में बताया कि हमारे जो असलाफ थे वह रमज़ान में अल्लाह की खूब इबादत करते थे और जब रमज़ान का महीना गुज़र जाता तो अल्लाह से कुबूलियत की दुआ करते थे,इस लिए हम सब को भी इबादत करने के बाद अल्लाह से उसके कुबूल होने की दुआ करते रहना चाहिए।मौलाना ने यह भी बताया कि जिस तरह से रमज़ान में हम सब ने रब को राज़ी करने के लिए नमाजें पढ़ीं, सदका किया कुरान पढ़ा उसी उसी तरह साल के दूसरे महीनों में भी अल्लाह की इबादत करना चाहिए क्योंकि जिस रब को राज़ी करने के लिए हमने रमज़ान में मेहनत की है वही रब दूसरे महीनों का भी रब है।मौलाना ने अपने बयान में यह भी बताया कि हमारे बहुत से मुसलमान भाई ऐसे भी हैं जो रमज़ान में खुद को बुराई से दूर रखते हैं लेकिन जैसे जैसे ही रमज़ान का महीना गुज़र जाता है फिर से बुराई करने लगते हैं,मौलाना ने बताया कि ऐसे लोगों की मिसाल उस औरत की तरह है जो बड़ी महनत से सूत कातती है फिर उस को रेज़ा रेजा कर देती है।
लिहाजा हम सब को हमेशा अपने आप को बुराई से दूर रहना चाहिए।मौलाना ने अपने खिताब में यह भी कहा के आज के दिन हम सब को अपने दिलों में पाई जाने वाली नफरतों को खतम करना है ।और आपस में भाई भाई बन कर रहना है, क्योंकि किसी भी मुसलमान के लिए यह जाइज नही है कि वह अपने मुसलमान भाई से तीन दिन से ज़्यादा नाराज रहे।
अगर कोई व्यक्ति अपने मुसलमान भाई से नाराज़ रहता है तो अल्लाह के नबी ने फरमाया कि उसकी इबादत को अल्लाह क़ुबूल नहीं करता,यह भी बताया कि जो आगे बढ़ कर पहले सलाम करता है अल्लाह उस से खुश हो जाता है। अंत में मौलाना ने सब मुसलमानों के लिए दुआ करते हुए कहा कि अल्लाह पूरी दुनिया के मुसलमानों को सलामत रख, मुसलमानों पर हो रहे जुल्म को खतम कर दे,हमारी इबादतों को क़ुबूल फरमा, जो बीमार हैं उन्हें ठीक कर दे। नमाज़ के बाद सब मुसलमानों ने एक दूसरे को ईद की मुबारकबादी पेश की।
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