रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी/पंकज बडोला, झाबुआ (मप्र), NIT:
शहर में दशा माता की पूजा अर्चना करने के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ा जहां भक्ति वहीं शक्ती मां दशा माता की पूजा बड़े तालाब से लेकर छोटे तालाब पर भारी भीड़ के बीच पराम्परागत तरीके से हुई पूर्ण भारी भीड़ के बावजूद महिलाओं ने की। आम जनता ने खुद धैर्य रखकर अपनी आस्था को किया जीवंत पांच हजार से अधिक भक्तों की भीड के बावजूद पूजा संपन्न हुई वर्षों से हो रही है पूजा अर्चना, दशामाता के आगमन से पहले घर की साफ सफाई का बड़ा महत्व है अपने घर से पूजा की थाली सजाए सुबह से, ही महिलाओं का तांता लगा दशा माता के पूजन से घर की निगेटिव उर्जा का होता है शमन,,घर मे आती है संपन्नता, सारी विपदाएं होती है दूर ऐसा मानना है।
दशामाता की पूजा में विशेषकर पीपल की पूजा की जाती है। चैत्र मास होलीष्टिका के दसवें दिन दशा माता की पूजा की जाती है” दंतकथाओं के अनुसार, दशा माता की पूजा की तैयारी,दस दिन पहले से शुरू हो जाती, जिस दिन होली जलती है, जब जलती होलिका से कच्चे सूत को निकलकर एक लोटे में डालकर दस दिन तक उसे लोटे की विधवत पूजा की जाती है, दसवें दिन वही जल पीपल के पेड पर अर्पण कर कहानी सुनकर जड के” साथ उस धागे को घर लाते है या फिर मन्नत के अनुसार वृक्ष में बांध देते,उसी के साथ पूजा सपन्न हो जाती है। दशा माता को भोग में मीठे पुऐ, घी दूध की बनी वस्तुएं विशेष रूप से अर्पण की जाती है।
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