अंकित तिवारी, ब्यूरो चीफ, प्रयागराज (यूपी), NIT:
आज संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) एवम किसान मजदूर मोर्चा ने चंडीगढ़ के किसान भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करी जिसमें मुख्य तौर पर जगजीत सिंह डल्लेवाल, सरवन सिंह पंधेर, लखविंदर सिंह औलख, अमरजीत सिंह मोहड़ी, सुखजिंदर सिंह खोसा, बलदेव सिंह जीरा, अभिमन्यु कोहाड़, जसविंदर लोंगोवाल, सुखदेव सिंह भोजराज, मंजीत सिंह राय आदि मौजूद रहे।
13 फरवरी से शम्भू, खनौरी, डबवाली एवम रतनपुरा बॉर्डर पर किसानों के मोर्चे लगे हुए हैं, किसान नेताओं ने बताया कि सरकार ने हालिया समय में कई मंडियों को खत्म कर के गेहूं की फसल सीधे साइलो में लेकर जाने का आदेश जारी किया है जो पिछले दरवाजे से 3 कृषि कानूनों को दोबारा लागू करने के समान है। किसान नेताओं ने बताया कि 10 फरवरी से हरियाणा में सैकड़ों किसानों को गिरफ्तार किया गया जिनमें से 5 किसान नेता अभी भी जेल में हैं, अभी रविंदर सिंह (13 फरवरी से जींद जेल), अमरजीत सिंह (13 फरवरी से जींद जेल), अनीश खटकड़ (19 मार्च से जींद जेल), नवदीप सिंह और गुरकीरत सिंह (28 मार्च से अम्बाला पुलिस की कस्टडी) में हैं। किसान नेताओं ने बताया कि सभी बार्डरों पर किसानों को परेशान करने के लिए बिजली व्यवस्था को जानबूझकर बाधित किया जा रहा है जिससे किसानों को अनेकों परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। दोनों मोर्चों ने फैंसला लिया है कि मंडियों को बचाने के लिए, जेल में बंद किसानों की रिहाई के लिये एवम किसानी मोर्चों पर बिजली की उचित व्यवस्था के लिए 7 अप्रैल को देशभर में जिला स्तर पर बड़े जुलूस निकालकर भाजपा के पुतले दहन किये जायेंगे। यदि सरकार ने उसके बाद भी किसानों की इन बातों को नहीं माना तो 9 अप्रैल को शम्भू बॉर्डर पर रेलवे ट्रैक को जाम किया जाएगा और उसके बाद आगामी दिनों में रेल रोकने के स्थान बढ़ाये जा सकते हैं। किसान नेताओं ने बताया कि 22 मार्च को हरियाणा के हिसार में, 27 मार्च को राजस्थान के हनुमानगढ़ में, 31 मार्च को हरियाणा के अम्बाला में शुभकरण सिंह की श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित करी गयी, 3 अप्रैल को कर्नाटक के मैसूर में, 11 अप्रैल को उड़ीसा में और उसके बाद उत्तर प्रदेश में भी श्रद्धांजलि सभा आयोजित करी जाएगी। आज शंभू बॉर्डर से एक प्रतिनिधिमंडल शहीद शुभकरण सिंह की अस्थि कलश लेकर वाया दिल्ली से चेन्नई के लिए रवाना हुआ, वहाँ से तमिलनाडु, केरल और पॉन्डिचेरी में ये यात्रा दक्षिण भारत के किसान संगठनों द्वारा निकाली जाएगी।
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