अली अब्बास, ब्यूरो चीफ, मथुरा (यूपी), NIT:
जयगुरुदेव आश्रम में तीन दिवसीय होली मेला सत्संग के पहले दिन संस्था के राष्ट्रीय उपदेशक बाबूराम जी और सतीश चन्द्र ने श्रद्धालुओं को सम्बोधित किया। ‘‘ईश्वर अंश जीव अविनाशी, चेतन…‘‘ पंक्ति को उद्धृत करते हुये सतीश चन्द्र ने बताया कि विज्ञान पुनर्जन्म कोे नहीं मानता है। भौतिक सोच वालों की संख्या अधिक है। ये लोग भगवान नाम की शक्ति को नहीं मानते हैं। भौतिकवाद एक ही जीवन को मानता है। भौतिक विकास को ही सब कुछ मानते हैं। धरती, पहाड़, समुद्र सब अपने आप बना हुआ मानते हैं। नास्तिक विचारधारा वालों को समझाना बड़ा मुश्किल है। जबकि अध्यात्मवाद सृष्टि में मानव की उत्पत्ति को पहले मानता है। ईश्वर ने जड़ शरीर को बना कर उसमें जीवात्मा को बन्द कर दिया।
जीव ईश्वर का अंश और चेतन है। जिस प्रकार सूरज एक होता है। उसकी अनगिनत किरणें होती हैं। उसी प्रकार परम पिता एक है और उनकी अंश जीवात्मायें हैं। जीव के ऊपर कर्मों की गन्दगी जमा हो गई है। जब उसमें ज्ञान का सूरज उदय होगा तब वह आत्मा कही जायेगी। मनुष्य महापुरुषों के पास जाकर जड़ पदार्थों को ही मांगता है। यदि मोह रूपी बादल गुरु की दया से खत्म हो जाय तो वह अपने आप को जान जायेगा और लोगों के अन्दर ईश्वर के रूप को देखने लगेगा और सभी पर दया करने लगेगा। भौतिक विकास में दया का स्थान सून्य है। इसीलिये रोज हत्यायें, हिंसायें हो रही हैं। परिवार, समाज और राष्ट्र में शांति अध्यात्मवाद से आयेगा, क्योंकि यह अहिंसा और सदाचार पर आधारित है।
राष्ट्रीय उपदेशक बाबूराम ने ‘‘का वर्षा जब कृषि सुखानी’’ पंक्ति को उद्धृत करते हुये कहा कि जीवन में समय की बड़ी कीमत होती है। जो समय का सदुपयोग नहीं करते हैं वे लोग अन्त में पश्चाताप करते हैं। जो व्यक्ति समय का पाबन्द नहीं होगा वह न तो दुनिया का कोई काम कर पायेगा औेर न ही परमार्थ का। महापुरुषों ने शुद्ध सात्विक होली खेलने की परम्परा डाली थी लेकिन आज भारत में होली का स्वरूप काफी विकृत हो चुका है। रासायनिक पदार्थों से मिले रंगों में होली खेलने से अनेक बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। जबकि जयगुरुदेव आश्रम में पवित्र ब्रजरज के तिलक से होली खेली जाती है।
लोग दुर्गा जी को देवी मां कहते हैं और उनके नाम पर मांस, शराब का सेवन करते हैं जो ठीक नहीं है। मां में ममता होती है, सच्ची मां कभी किसी का खून नहीं पीती। यदि माता जी जीव की बलि मांगती हैं तो माता कहलाने की हकदार नहीं होती हैं। भारत में वैदिक काल से अहिंसा परमो धर्मः का नारा लगाया जाता है तो भी लोग हिंसा, हत्या में लिप्त हैं। इसकी प्रकृति कड़ी सजा देगी। बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने शाकाहार-सदाचार का प्रचार करते रहने का आदेश दिया जिसे उनके उत्तराधिकारी बाबा पंकज जी महाराज बड़ी तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं। उसी का परिणाम है कि होली के पहले ही सत्संग मैदान भर गया। मेले में श्रद्धालुओं का आना जारी है। कल जयगुरुदेव नाम योग साधना मन्दिर में पूजन और प्रसाद का वितरण होगा। पूज्य पंकज जी महाराज का सत्संग प्रातः 6.30 बजे से होगा।
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