संदीप तिवारी, ब्यूरो चीफ, पन्ना (मप्र), NIT:
भले ही प्रशासन भ्रष्टाचार खत्म करने के लाख प्रयास कर रही हो लेकिन भ्रष्टाचार की चाशनी में डूब चुके भ्रष्टाचारियों पर लगाम अब भी नहीं लग पा रही है। वो किसी न किसी तरीके से भ्रष्टाचार करने का रास्ता निकाल ही लेते हैं। ताजा मामला जनपद पंचायत गुन्नौर से निकलकर सामने आया है, जहाँ पर तीन दुकानों निर्माण 5 वे वित्त से तीन लाख 60 हजार की लागत राशि से होना स्वीकृत हुआ था, दुकानों का निर्माण तो शुरू तो हुआ लेकिन दुकान निर्माण में भ्रष्टाचार इस कदर हावी हुआ 3 दुकानों की जगह पर ही 5 अवैध दुकानों का निर्माण करवा दिया गया, निर्माण में न कोई नाप, न कोई मूल्यांकन न कोई गुणवत्ता बल्कि अवैध रूप से 5 दुकानें बना डाली।
दुकानों के निर्माण में इस कदर भ्रष्टाचार हावी हुआ कि निर्माण से लेकर आवंटन की प्रक्रिया के लिये भी न कोई विज्ञापन न कोई सूचना सार्वजनिक रूप से जारी करवाई गई, दुकानों के निर्माण व आवंटन के नाम पर दलालों से सांठ गांठ कर लाखों रुपये का भ्रष्टाचार कर लीपापोती कर डाला गया। जबकि आज तक दुकानों के निर्माण का न तो कोई मूल्यांकन हुआ और न ही कोई कार्य का पूर्णता प्रदान की गई है। लेकिन ज़िम्मेदारों की मिली भगत से दलालों के माध्यम से दुकानों के निर्माण से आवंटन की प्रक्रिया में भ्रष्टाचार जरूर जमकर किया गया।
इस सम्बंध में दुकानदारों का कहना है कि हम वर्षों से इस जगह से दुकान संचालन कर रहे हैं दुकानें शासन की है तो आवंटन में पारदर्शिता से कार्य होना चाहिए।वही जनपद पंचायत गुन्नौर के लिपिक हीरा सिंह और जनपद गुन्नौर के निर्माण समिति के अध्यक्ष रामशिरोमणि मिश्रा द्वारा पूरे मामले में गोल मोल जबाव देते नजर आए, तो वही जनपद गुन्नौर के सी ई ओ अशोक चतुर्वेदी से बात की गई तो पूर्व का मामले कि बात कहकर पूरे मामले से पल्ला झाड़ते नज़र आये।
वैसे भी गुन्नौर जनपद के जिम्म्मेदार द्वारा तीन पांच करके भ्रष्टाचार करने में माहिर हो चुके हैं, दुकानों के निर्माण में दलालों के माध्यम से अवैध वासूली के आरोप लगाए जा रहे हैं, इतना ही नहीं मामला उजागर होते देख दुकानदारों के पैसे भी लौटा दिए गए हैं, अब देखना होगा कि दुकानों में हुए भ्रष्टाचार के मामले में कोई कार्यवाही होती है या फिर इस भ्रष्टाचार के मामले को जिम्मेददारों द्वारा रफा दफा कर दिया जाएगा।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts sent to your email.