वी.के. त्रिवेदी, ब्यूरो चीफ, लखीमपुर खीरी (यूपी), NIT:
उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ द्वारा संचालित ऑनलाइन संस्कृत भाषा कक्षाओं के अन्तर्गत आयोजित बौद्धिक सत्र का समापन शनिवार को सम्पन्न हुआ। सत्र का संचालन प्रशिक्षु छात्र देबब्रत दां जी ने किया। मीटिंग का संचालन प्रशिक्षक लल्लनबाबू मौर्य जी ने किया। सत्र का आरंभ माधवी गुप्ता जी द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वन्दना के साथ हुआ।इसके बाद छात्रा निशा द्वारा श्रुतिसारभारविचारहारम संस्थान गीत को प्रस्तुत किया गया। उसके बाद खुशी शर्मा ने इस बौद्धिक सत्र में उपस्थित वक्ता और उपस्थित सभी संस्कृत प्रेमियों के स्वागत के लिए त्वदीयं स्वागतं कुर्मः स्वागत गीत गाया गया।
प्रशिक्षक अंशू गुप्ता ने मुख्य अतिथि का परिचय कराया और स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। आयोजित बौद्धिक सत्र में वक्ता रूप में उपस्थित संस्कृत भारती के अवधप्रान्त के पूर्वप्रान्तमंत्री डॉ ओंकारनारायण भारद्वाज जी ने संस्कृत भाषा की विशेषता बताते हुए कहा कि हर मनुष्य संस्कारित जीवन जीना चाहता है और संस्कारित जीवन के लिए संस्कृत पढ़ना जरूरी है। व्यक्ति को मानवत्व के लिए भी संस्कृत भाषा का अध्ययन करना आवश्यक है। इसके साथ उन्होंने कुछ समय पहले विवादित तुलसीदास जी द्वारा उल्लिखित-ढोल गवार शूद्र पशु नारी सकल ताड़ना के अधिकारी इन पंक्तियों का भी विश्लेषण किया और कहा कि यदि सभी ने संस्कृत भाषा का अध्ययन किया होता तो इतना विवाद नहीं होता।
उन्होंने बताया कि ताड़ना का सही मायने में अर्थ होता है शिक्षित करना तभी तो शास्त्र कहते हैं-लालने बहव:दोषा:ताडने बहव:गुणा:। अतः शास्त्र पढ़ना चाहिए और शास्त्र का ज्ञान संस्कृत से ही होगा।संस्कृत भाषा देवभाषा है। इसके साथ ही उन्होंने हाल ही में निर्मित भगवान श्री राम जी के भव्य मंदिर और रम्या रामायणी कथा का संक्षिप्त सार प्रस्तुत किया।इसके साथ ही संस्थान के माननीय निदेशक विनय श्रीवात्सव और माननिया सर्वेक्षिका डॉ चन्द्रकला शाक्या, समन्वयक धीरज मैठाणी, दिव्यरंजन, राधा शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। प्रशिक्षुओं ने भी स्वेच्छा से संस्कृत भाषा में गीत, वन्दना आदि प्रस्तुति देकर संस्थान और संस्कृत के प्रति अपनी रुचि को प्रकट किया। प्रशिक्षक साध्वी नन्दन द्वारा बौद्धिक सत्र में उपस्थित वक्ता और प्रशिक्षक प्रशिक्षुओं सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया गया। अन्त में प्रशिक्षक सचिन शर्मा जी द्वारा शान्ति मंत्र के साथ सत्र का समापन किया गया।
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