- सड़क सड़क बोल राजनीत नहीं करों,
- निकलों अपने एसी रुम से बाहर सड़कों पर।
सोशल मीडिया न हुआ झूठ को सत्य और सत्य को झूठ बताने का संसाधन हो गया ! जिसकी बात मीडिया न सुने वो आजकल उसकी दिनचर्या सुबह से रात जब तक समस्त मेरे मादर ए वतन के भारतवासी सों नही जाते हैं जब तक ढोंगी लूटेरी सेक्युलर दलदल के लिये झुनझुना बजाते रहते लेकिन फिर भी भौली भाली जनता उनके इस बहकावें में नही आती और सौच समझकर ऐसा जवाब देती की बहुमत तो दूर की बात ज़मानत ज़प्त हों जाती !
जानना हैं तो मेरा पूरा लेख पढ़ियेगा ज़रूर :
सन् 1989 में गठित मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार मुखिया सुंदरलाल पटवा (स्वर्गिया) व उनके काबीना मंत्री जो बुलडोजर मंत्री के नाम से प्रख्यात स्थानीय शासन मंत्री बाबूलाल गोर जिनके सफल प्रयासों से मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल सहित प्रदेश में शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के मार्गो से अतिक्रमण हटा कर मार्ग चौड़ीकरण, सड़क-नाला, पुल-पुलिया निर्माण एवं विकास व सौंदर्यकरण कार्य कर प्रदेश को चमन बनाया गया परंतु उस गति का मार्ग चौड़ीकरण कार्य व सख्त नियम न होने की वजह से झुग्गी-झोपड़ी, ठेला व गुमठी खूब फल-फूलता रहा है व्यापार जो पहले की सरकारों ने जो रोग फेलाया था रोग फेलाया अर्थात मुफत में शासकिया भूमी, नज़ूल भूमी, फुटपाथ हों या श्मशान कब्रस्तान ! जहां मिलता मौका अतिक्रमण कर शुरू हों जाता धन्धा व्यापार !
बात तो हो रही है शिवराज के अमेरिका में दिये गये उस ब्यान की और लोग खामाखा बिन सोचें समझें सत्य को झुठला कर सोशल मीडिया पर कर रहें विपक्षी दलों का प्रचार-प्रसार कर सड़कों पर विवाद तो फिर सुन लों जल्द शुरू होने वाला फिर सड़क चौड़ीकरण कार्य उसके उपरांत ही सड़क निर्माण कार्य मरम्मत कार्य ! फिर अब बाधा बनी सड़क अतिक्रमण जबकी आने को है मेट्रो ट्रेन जो बड़े शहरों में लेकिन छोटे शहरों के सकरे मार्ग फिर भी मार्गों पर राजनेताओं की नुक्कड़ सभाओं धार्मिक आयोजनों अतिक्रमण व बढ़ती जा रही जनसंख्या से बाधित होता जा रहा यातायात ! बाधित होता जा रहा यातायात से गाड़ियों का लगता है जाम, जाम में फंसी गाड़ियों के से निकलता है धुआं जो वायु में प्रदूषण ले सकता है किसी की जान !
अंग्रेज़ों के पेरौकार रहें जो कभी अपने को राजघराने का तो कभी स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ने वाला ढोंगी सेकुलर दल-दल के शासन कालों का काला इतिहास जो शासकिया भूमियां खुर्द बुर्द करने में माहिर खूब फला-फूला अतिक्रमण का झुग्गी-झौपड़ी व्यापार और उसकी कालिख जो मप्र शासन झुग्गी झौपड़ी अधिनियम ही बन गया !
अतिक्रमण पर अधिकार क्षेत्रधिकार व प्रभाव के चलते जनप्रतिनिधियों में आपसी टकराव इसके लिए स्थानीय प्रशासन व राजस्व विभाग है जिम्मेवार ! नियम सख्त नहीं होने से स्थाई समाधान नहीं ! गरीब बेरोजगार फेरीवाले ठेले वाले व घूमती वाले अतिक्रमण के नाम पर अड़ी बाज़ी में ले लेते हैं नेता गणों के नाम और क्यों नहीं ले नाम अगर कहा जाए तो असत्य न होगा गरीब अशिक्षित युवा और बेरोजगार ही लोकतंत्र को बचाने 60% करते तो हैं वहीं मतदान !
पुन: ग्यात्तव रहें कुंवर अर्जुन सिंह के शासनकाल में खूब फला फूला था झुग्गी-झोपड़ी व्यापार, कोई बना पार्षद विधायक जिलाध्यक्ष तो कोई बन गया साहूकार, जब से यह समस्या जटिल समस्या अतिक्रमण ही हमारी आदत बन गई ! जिसके लिये अब फिर मप्र शासन नगरिया निकाय तथा राजस्व विभाग को चाहिये अब न हों अतिक्रमण और अतिक्रमण मुक्त प्रदेश के लिए स्थानीय प्रशासन विभाग और राजस्व विभाग को संयुक्त रूप से कठोर नियम बनाने की आवश्यकता है ! ठेला, गुमठी और फेरी वालों के लिए कठोर नियम बनाने की आवश्यकता है उन नियमों के तहत आवंटी को उसका स्थाई स्थान हाकर कार्नर आवंटन सहित आवंटन पत्र हो जिस पर उसका फोटो प्रमाणित आधार लिंक हो !
अब तो फिर वैचारिक द्वंद हैं !
मो. तारिक (स्वतंत्र लेखक)
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