गर्भवती के शरीर में हिमोग्लोबिन की मात्रा केवल पांच ग्राम, टीम कमल ने सिजेरियन का रिस्क लेकर बचाई मां और बच्चे की जान | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

गर्भवती के शरीर में हिमोग्लोबिन की मात्रा केवल पांच ग्राम, टीम कमल ने सिजेरियन का रिस्क लेकर बचाई मां और बच्चे की जान | New India Times

मेडिकल साइंस में डॉक्टरों ने अपने अनुभव और प्रैक्टिस के बल पर आए दिन सैकड़ों केसेज में नए नए उदाहरण स्थापित कर हजारों मारिजों की जाने बचाई है। ऐसा हि एक केस उस जामनेर से सामने आया जिसकी राजनीतिक पहचान आरोग्य सेवा है। आठ महिने की गर्भवती शितल बच्चे को जन्म देने के लिए दर्द से कराहते हुए जामनेर के कमल हॉस्पिटल पहुंची। शितल की पहली डिलिवरी सिजेरियन ऑपरेशन से कराई गई थी तब उसके शरीर में खून की कमी रही थी। इस बार दूसरी डिलिवरी में यही वजह सामने आई, मां बनने वाली शीतल के बदन में महज पांच ग्राम हिमोग्लोबिन था। कमल हॉस्पिटल के मुखिया डॉ प्रशांत भोंडे ने मरीज को भर्ती कराया और डॉक्टरों का एक पैनल बनाया जिसमें शामिल प्रसूती विशेषज्ञ डॉ गिरधारी जेधे से शीतल के मसले पर परामर्श किया। ज्ञजेधे ने शीतल की सिजेरियन से डिलिवरी कराने का फ़ैसला किया। टीम कमल ने कमर कस ली तत्काल मीरा हॉस्पिटल जामनेर और रेड प्लस जलगांव से खून की बैग्स मंगवाई गई। एनस्थेशिया विशेषज्ञ डॉ दीपक ठाकुर, बालरोग विशेषज्ञ डॉ निलेश काले और टीम के प्रमुख डॉ भोंडे, डॉ जेधे ने इस जटिल सीजेरियन केस को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। 9 मार्च की रात शीतल ने स्वस्थ लड़के को जन्म दिया। इस केस में गर्भवती महिला के कोमा में जाने का खतरा था लेकीन कमल हॉस्पिटल की टीम ने जच्चा और बच्चा दोनों को बचा लिया। मां और नवजात शिशु को अस्पताल से घर जाने की अनुमती दी गई। इन भावुक पलों को अस्पताल की टिम ने अपने कैमरों मे छबि उतारकर संजोया।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

By nit

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading