मेहलक़ा इक़बाल अंसारी, ब्यूरो चीफ, बुरहानपुर (मप्र), NIT:

मौत बर हक़ है और यह कब आएगी किसी को पता नहीं जिस वक्त बाबा मियां ने बाबा मियानी दुनिया ए फ़ानी को खेरा बाद कहा, उस वक्त हज के मामलात में साए की तरह ऑल इंडिया हज वेलफेयर सोसाइटी के नेशनल अध्यक्ष मुकीत ख़ान खंडवा और ऑल इंडिया हज वेलफेयर सोसाइटी की मध्य प्रदेश इकाई के उपाध्यक्ष हाजी मतीन अजमल बुरहानपुर मुंबई में उमरा संबंधी कार्य से मुंबई में थे। दोनों हज़रात की ट्रेन एलटीटी से दोपहर 4:25 बजे थी। दोनों ने रात 12 बजे बुरहानपुर पहुंचकर शाही जामा मस्जिद में शरीक होने का ईरादा किया था लेकिन बुरहानपुर पहुंचते हुए ट्रेन के लेट होने से यह दोनों बंधु मिट्टी में शरीक नहीं हो सके थे। बुरहानपुर और खंडवा के हज वेलफेयर सोसाइटी के समस्त कामों में मरहूम बाबा मियां की सरपरस्ती हमेशा शामिल रहती थी। फार्मर हम हर काम में अपने समर्थ के मुताबिक़ बे नफ्से नफीस शामिल शरीक रहते थे। बुरहानपुर में हाजी मतीन अजमल भी उनकी बगैर इजाजत की कोई काम नहीं करते थे। जिन लोगों ने मरहूम बाबा मियां के कामों को करीब से देखा है वह समस्त लोग इस बात के शाहिद हैं कि मरहूम एक चलती फिरती अंजुमन थे। वह अपने आप में एक मुकम्मल ईदारा थे। हर वक्त अवेलेबल रहने वाली शख्सियत थे। ऑल इंडिया हज वेलफेयर सोसाइटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुकीत खान खंडवा ने हज़रत बाबा मियां के इंतेक़ाल पर अपने ताससुरात कलम बंद किए हैं जो पेश किया जा रहे हैं।
चेहरे पर सदा मुस्कान लिए, सादगी पसन्द, खिदमत गुज़ार, नेक दिल, कौम के संजीदा मसाइलों पर मुफीद मशवरे देने वाले, बुरहानपुर की तारीखी शाही जामा मस्ज़िद के मुतवल्ली, शाही जामा मस्ज़िद के पेश इमाम आली जनाब सैय्यद इक़राम उल्लाह बुखारी साहब के बड़े भाई जनाब सैयद तलत तमजीद बुखारी साहब (बाबा मियाँ) के इंतकाल की ख़बर यक़ीनन बेहद अफ़सोस नाक साबित हुई, हम मुंबई में थे। सुबह से ही उनकी तबियत ज़्यादा ख़राब की खबरें आ रही थी। दिल रूआँसा था। पता नही क्या ख़बर मिले ? और वही हुआ इंतकाल की ख़बर ने गमगीन कर दिया।
अल्लाह बाबा मियां को जन्नतुल फ़िरदौस में आला मकाम अता करे, उनकी कब्र को नूर से मुनव्वर करे, उनके दरजात को बुलंद करे, मरहूम बाबा मियां ऑल इण्डिया हज वेलफेयर सोसायटी की मध्यप्रदेश यूनिट के सरपरस्त रुक्न थे। अक्सर उनसे हज से मुताल्लिक बहुत से मुद्दों पर तवील गुफ़्तगू होती थी। उनके मशवरों पर अमल कर ख़ुशी होती थी। वो खुद भी बहुत खुश होते थे। मध्यप्रदेश सूबे से दोबारा हज की फ्लाइट शुरू किये जाने के लिए बाबा मियां की रहनुमाई में सोसायटी ने बुरहानपुर से ही अपनी मुहिम की शुरुआत की थी जिसमें कामयाबी भी हासिल हुई। आपकी रहनुमाई में एक लम्बे अरसे से हाजियों की बेलौस खिदमत अंजाम देती आ रही तंज़ीम अंजुमन खुद्दाम-उल-हुज्जाज ने हाजियों को आसानियां मुहैय्या कराने में अपना नुमाया तआवुन दिया है, जिसकी तारीफ़ मरकज़ी व रियासती हज कमेटी भी करती है।बाबा मियां खिदमतगारों की हौसला अफ़ज़ाई में हमेशा पेश-पेश रहते। अपने दफ्तर में आपने अनगिनत खिदमतगारों का इस्तक़बाल किए हैं और हर बार बेइंतिहा ख़ुशी का इज़हार करते।
बाबा मियां के मशवरे से हज वेलफेयर सोसायटी ने बुरहानपुर ज़िला यूनिट के साथ मिलकर मुसलसल एजुकेशन के इजलास भी मुनअकिद किए, जिसमें इम्तियाज़ी नंबर हासिल करने वाले और हायर एजुकेशन हासिल करने वाले तलबा को इनआमात तकसीम कर उनकी हौसला अफ़ज़ाई की गई।
इस दार-ए-फ़ानी से आपका विदा होना यक़ीनन हम सभी के लिए सदा एक खालीपन का एहसास कराता रहेगा। आपकी जैसी शख्सियत को तलाशने में ना जाने कितने ज़माने लगेंगे, लेकिन हर शोबों में खिदमत के आपके मिशन को हम और आने वाली नस्ले आगे बढ़ाती रहेंगी। इंशाअल्लाह, ऐसी हम रब्बुल इज़्ज़त से हमेशा दुआ करते रहेंगे..
एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा
आँख हैरान है क्या शख़्स ज़माने से उठा।
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