मो. मुजम्मिल, जुन्नारदेव/छिंदवाड़ा (मप्र), NIT:
चुनाव के निर्वाचन में निर्वाचित हुई महिला सरपंचों को उनके ही अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है। ताजा मामला जनपद पंचायत से करीब लगी ग्राम पंचायतों में देखने को मिल रहा है। जहां जनता ने महिलाओं को सरपंची की जवाबदेही सौंपी। लेकिन इसके विपरित ही ग्राम पंचायतों में उनके पतियों का दखल हर काम में आगे है। ग्राम की प्रधान चुनी गई महिलाएं सिर्फ औपचारिकता निभा रही। ग्राम पंचायत और जनपद के सारे काम उनके पति ही निपटाते। ग्राम पंचायत क्षेत्र में होने वाले विकास कार्यों की देखरेख और निर्माण कार्यों की तकनीकी स्वीकृति व सीसी जारी करने तक के जनपद पंचायत में सरपंच पतियों का दबदबा है। इर्द-गिर्द होकर काम चलाया जा रहा है। शासन के विभागों में वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात के वक्त भी सरपंच पति स्वयं का परिचय सरपंच के रूप में देते हैं। महिलाओं को निर्वाचन प्रक्रिया में जो अधिकार दिए हैं उनका दायित्व भी वह पूर्ण तरीके से नहीं निभा पा रही हैं। जिसके चलते उनके अधिकारों का हनन जमकर हो रहा है।
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