जमशेद आलम, ब्यूरो चीफ, भोपाल (मप्र), NIT:
रियासत के दौर में भोपाल के नवाब रहे हमीदुल्लाह खान की जूनियर बेगम आफताब जहां की बैरागढ़ सर्किल के सीहोर नाका, बेहटा व अन्य जगहों की 83 हेक्टेयर जमीन, खानूगांव की 7 हेक्टेयर जमीन में से 18 प्रॉपर्टी को पहले चरण में शत्रु संपत्ति मान लिया गया है। यह सभी संपत्ति 1959 में नवाब हमीदुल्लाह खान की जूनियर बेगम आफताब जहां के नाम पर दर्ज थी। इधर, जल्द ही इस संबंध में मुंबई कार्यालय से आदेश जारी कर दिया जाएगा। इस बीच जिला प्रशासन के अफसरों ने खसरों में नामांतरण के बाद अलग नामों से दर्ज की गई जमीनों को फिर से नवाब बेगम के नाम पर दर्ज करने की तैयारी शुरू कर दी है। प्रशासन की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव के बाद 4 नवंबर को मुंबई स्थित शत्रु संपत्ति कार्यालय से डिप्टी सेक्रेटरी व अन्य अफसर नवाब प्रॉपर्टी के संबंध में निरीक्षण कर चुके हैं। जिन संपत्तियों को शत्रु संपत्ति माना है, उनमें से कई संपत्तियों को मिलीभगत कर खुर्दबुर्द कर बेच दिया गया है। ऐसे में जिन लोगों ने ये प्रॉपर्टी खरीदी हैं या अवैध रूप से रह रहे हैं या गलत नामांतरण कराए हैं, वे स्वत: ही निरस्त हो जाएंगे।
कहां कितना रकबा
नवाब की जूनियर बेगम के नाम पर दर्ज जमीनों में सीहोर नाका, बेहटा में दर्ज 83 हेक्टेयर जमीन में से 0.1010, 0.0890, 0.0280 और 0.0650 हेक्टेयर में से 0.0459 हेक्टेयर जमीन का नामांतरण हो चुका है। चार प्रॉपर्टी के संबंध में नोटिस जारी किए गए हैं। एक फरवरी 2020 को बेगम आफताब जहां के संदेहास्पद हिबानामा के कारण एक प्रॉपर्टी का नामांतरण निरस्त किया जा चुका है। इसके अलावा भोपाल का कोहेफिजा, ईदगाह हिल्स, लालघाटी, हलालपुरा, बोरबन, बैरागढ़, लाउखेड़ी, गिन्नौरी, तलैया, नव बहार फल-सब्जी मंड़ी, ऐशबाग स्टेडियम क्षेत्र, कोटरा सुल्तानाबाद, इस्लाम नगर, खजूरी और सीहोर और रायसेन जिले का कुछ इलाका भी शत्रु संपत्ति की जद में आता है।
क्या है शत्रु संपत्ति
शत्रु संपत्ति वह संपत्ति होती है जिसमें संपत्ति का दुश्मन कोई व्यक्ति ना होकर देश होता है। बंटवारे के समय करोड़ों लोग पाकिस्तान चले गए लेकिन वह अपनी संपत्ति यहीं छोड़ गए। ऐसी संपत्ति शत्रु संपत्ति कहलाई गई । शत्रु संपत्ति कार्यालय केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करता है। शत्रु संपत्ति कानून के मुताबिक पाकिस्तान और चीन जैसे शत्रु देश में रहने वाले व्यक्ति की संपत्ति का नियंत्रण सरकार अपने हाथ में ले लेती है और संपत्ति की देख-रेख और उसे बेचने का हक भी सरकार का ही होता है।
चली गई थीं पाक
शत्रु संपत्ति की जद में लगभग 15,000 हेक्टेयर जमीन आ रही है जो भोपाल और आस-पास के इलाकों में फैली है। यह सारी संपत्ति नवाब हमीदुल्ला खान के नाम पर थी। नवाब की मौत 1960 में हो गई, लेकिन उससे पहले ही 1951-52 में उनकी बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान भारत छोड़कर पाकिस्तान चली गईं थी। कायदे से नवाब की मौत के बाद सबसे बड़ी संतान होने के नाते आबिदा सुल्तान को उत्तराधिकारी बनाया जाना चाहिए था और सारी संपत्ति उनके कब्जे में आना चाहिए थी, लेकिन वे भारत छोड़ चुकी थीं। इसलिए 1962 में नवाब की मंझली बेटी साजिदा सुल्तान को उत्तराधिकारी घोषित कर दिया गया। 1995 में साजिदा सुल्तान की मौत के बाद उनके बेटे को उत्तराधिकारी बनाया गया और उनकी मृत्यु के बाद सैफ अली खान वारिस बने, लेकिन अब केंद्र सरकार आबिदा सुल्तान को नवाब की संपत्ति का उत्तराधिकारी मानकर और शत्रु संपत्ति अधिनियम 1968 के तहत कारवाई करते हुए संपत्ति को अपने कब्जे में ले रही है। इस बीच सैफ अली खान ने शत्रु संपत्ति कार्यालय की नवाब की तमाम संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित करने के आदेश को हाइकोर्ट में चुनौती दी है।
बेगम ने छोड़ दी थी भारतीय नागरिकता
नवाब हमीदुल्ला खान के इंतकाल के बाद उनकी जूनियर बेगम पाकिस्तान में जाकर बस गई थीं। पाकिस्तान की सिटीजनशिप लेने के बाद बेगम ने भारतीय नागरिकता को त्याग दिया था और भारत में अपने नाम की सारी जायदाद को शत्रु प्रॉपर्टी के तौर पर अपने हक में लेने के लिए कथित तौर पर एक पत्र पाकिस्तान से ही भारत सरकार को दिनांक 2 मई 1977 को भेजा था। इस संबंध में 14 सितंबर को प्रधानमंत्री से लेकर कलेक्टर तक को ज्ञापन सौंपा गया। इसके बाद ही इस मामले में तेजी आई। दरअसल वर्ष 1959 के खसरे जिसमें ये जमीनें जूनियर बेगम के नाम पर दर्ज थीं, उसकी कड़ी से कड़ी मिलाकर जांच की जा रही है। कैसे इन प्रॉपर्टी के नामांतरण, हिबानामे या रजिस्ट्री हुईं हैं। उन सब को नोटिस जारी किए जाएंगे।
मोदी सरकार ने बदला एक्ट
केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने 1968 के बने इस एक्ट में संशोधन 17 मार्च 2017 को किया था। नए कानून के हिसाब से एनिमी प्रॉपर्टी की व्याख्या बदल गई। अब वो लोग भी शत्रु हैं जो भले ही भारत के नागरिक हैं लेकिन, जिन्हें विरासत में ऐसी संपत्ति मिली है जो किसी पाकिस्तानी नागरिक के नाम है। इसी संशोधन ने सरकार को ऐसी प्रॉपर्टी बेचने का भी अधिकार दे दिया। इसकी वजह से इस तरह की तमाम संपत्तियों के मालिकाना हक अब सरकार के पास चले गए। भारत सरकार ने अब तक कोई 9,400 शत्रु संपत्तियों की पहचान की है। इनमें से ज्यादातर विदेशी नागरिकों के नाम है।
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