नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
मराठा आरक्षण के विषय पर नाकाम साबित हो चुकी शिंदे-फडणवीस सरकार ने लोकसभा चुनाव में होने वाले नुकसान को पाटने के रणनीति तहत खानाबदोश समुदाय को इकट्ठा करने का जुगाड़ शुरू कर दिया है। RSS के माधव (माली, धनगर, वंजारी) समीकरण के सहारे शिवसेना को साथ लेकर 1995 में महाराष्ट्र की सत्ता प्राप्त कर चुकी भाजपा को तीस सालों बाद फिर से यह प्रयोग करना पड़ रहा है। राज्य में खानबदोश जनजातियों की आबादी करीब डेढ़ करोड़ है। इस बार माधव समिकरण में तमाम खानाबदोश जनजातियों को एक साथ लाने की भाजपा की कोशिश है। प्रशासन की ओर से मोदी आवास योजना के माध्यम से NT/VJNT/DNT का डेटा जमा कराया जा रहा है। हमें बताया गया कि PMAY (प्रधानमंत्री आवास योजना) में केंद्र सरकार की ओर से OBC वर्ग को आवास का जो लाभ देना है उसमें इन खानाबदोश समुदाय की सारी जन जातियों का समायोजन करना है।
महाराष्ट्र का NT/VJNT/DNT केंद्र के सामाजिक आरक्षण में पहले से हि OBC में शामिल हैं तो इन लोगों में मोदी आवास को लेकर अलग से अलख जगाने का क्या मतलब है। पहले हि इनको OBC के कोटे से आवास दे देने चहिए थे। मंत्रियों की शक्ल में कुछ चमको नेताओं ने अपने फेसबुक पेज पर NT/VJNT/DNT को PMAY में शामिल किए जाने के ग्राफिक्स प्रकाशित किए और बाद में अचानक डिलीट भी कर दिए। प्रशासन कह रहा है कि उनको सरकार की ओर से एक सरकारी आदेश जारी किया गया है जिसमें खानाबदोश समुदाय को आवास का लाभ देने की सुचना करी है। महाराष्ट्र के गांव गांव से आवास के सैकड़ों प्रकरण फ्रेम कराए जा रहे है। गरीब बेघर लोग एक प्रकरण तैयार करने के लिए कम से कम 500 रूपया खर्च कर रहे हैं। सूबे के सभी तहसील कार्यालयों मे भीड़ ही भीड़ है यह भीड़ लोकसभा चुनाव की आचार संहिता घोषित होने तक बरक़रार रहेगी। राज्य सरकार की ओर से NT/VJNT/DNT के लिए सरकारी आवास की कोई स्वतंत्र या साझा योजना अस्तित्व में नहीं है। स्वतंत्र रूप से बजट में प्रावधान नहीं है, सरकार की ओर से कैबिनेट में वित्तिय स्तर पर कोई नीतिगत फैसला नहीं लिया गया है। राजनीतिक जानकारों की राय में यह केवल मराठा वोटों को काटने के लिए भाजपा की ओर से की जा रही वैकल्पिक व्यवस्था भर है।
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