संदीप शुक्ला, ब्यूरो चीफ, ग्वालियर (मप्र), NIT:
जब व्यक्ति की आध्यात्मिक क्षमता क्षीण हो जाती है, तो उसके जीवन में तनाव बढ़ने लगता है। फिर उसका दिमाग भी उसी तरह रिएक्ट करने लगता है। छोटी छोटी बात पर तनाव हो जाना हमारी मानसिक कमजोरी को प्रकट करता है। ब्रह्माकुमारीज के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय माउंट आबू से आई अंतराष्ट्रीय प्रेरक वक्ता बी के उषा दीदी ने चेंबर ऑफ कॉमर्स के राजमाता विजयाराजे सिंधिया सभागार में तनाव मुक्त जीवन विषय पर बोलते हुए व्यक्त किए। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी के ग्वालियर केंद्र द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि तनाव का नकारात्मक प्रभाव हमारे मन के साथ हमारे तन पर भी पड़ता है। जब हम गहरे अवसाद में चले जाते हैं, तो नींद नहीं आती और हमें मनोचिकित्सकों का सहारा लेना पड़ता है। मोटी फीस लेने के बाद भी वह हमें एक ही सलाह देते हैं कि आप नियमित रूप से मेडिटेशन करें।
इससे अच्छा तो यह है कि हम तनावग्रस्त हो, उससे पहले ही मेडिटेशन आरंभ कर दें। दिमाग पर जब दबाव बढ़ता है तो तनाव आना स्वाभाविक है। तनाव मुक्त होने के लिए अपनी स्पिरिचुअल इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए प्रयास करें। जिस प्रकार से हमें स्वस्थ शरीर के लिए स्वस्थ खुराक की जरूरत होती है, इसी प्रकार स्वस्थ मन के लिए भी अच्छे विचारों की खुराक की जरूरत होती है। जब हमारा मन विचारों से पुष्ट होता तो छोटी-छोटी बातें दिमाग को प्रभावित नहीं करती। जब हम थोड़ी देर के लिए भी मेडिटेशन के लिए बैठते हैं तो व्यक्ति दिन भर के लिए असीम ऊर्जा से भर जाता है । इसलिए अपने जीवन को संवारने के लिए आधा घंटा अवश्य निकालें।
उन्होंने एक घटना का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह कुल्हाड़ी से लकड़ी काटने के लिए उसे लगातार धार देनी होती है। इसी तरह मन को तनाव मुक्त रखने के लिए लगातार उसे मेडिटेशन और सकारात्मक विचारों की खुराक देनी पड़ती है। आज घरों में तनाव की वजह से रिश्ते खराब हो रहे हैं, जिन्हें बचाने के लिए बुद्धि की धार को तेज करना जरूरी है और वह आध्यात्मिक भोजन से ही तेज होगी। उन्होंने बताया जापान में मेडिटेशन करने वाले और नहीं करने वालों पर शोध हो चुका है। मेडिटेशन करने वाले व्यक्ति तनाव मुक्त और अधिक क्षमतावान होते हैं। जापान की फैक्ट्री में भी काम शुरू करने से पहले मेडिटेशन कराया जाता है ताकि घर का तनाव कार्यक्षेत्र में न पहुंचे और घर आते समय भी मेडिटेशन कराया जाता है ताकि काम का तनाव घर ना ले जाए।
6 ब्रह्माकुमारियों ने किया शिव से विवाह
शाम के सत्र में अंतराष्ट्रीय प्रेरक वक्ता राजयोगिनी उषा दीदी ने आध्यात्मिक सशक्तिकरण विषय पर प्रेरक व्याख्यान दिया। आपने कहा कि व्यक्ति के सर्वांगीण व्यक्तित्व विकास के लिए आध्यात्मिक सशक्तिकरण की बेहद आवश्यता है। इससे पूर्व ब्रह्माकुमारी बहनों का समर्पण समारोह आयोजित किया गया। जिसमें एक बहिन बीके महिमा (पीजी ह्यूमन रिसोर्स) ने पूर्णत: स्वयं को जगत कल्याण के लिए समर्पित कर भगवान शिव से विवाह किया।
पूर्व में ही समर्पण कर चुकी दो बहिनों का रिसेप्शन हुआ बीके रोशनी, बीके सुरभि, तथा तीन बहिनों बीके कुमकुम, बीके काजल, बीके पूनम ने बुद्धि समर्पण कर शिव से विवाह करने का संकल्प लेकर ईश्वरीय राह की ओर कदम बढ़ा दिया। इस मौके पर ठीक उसी तरह उत्सव मनाया गया, जैसे किसी कन्या के विवाह मेें मनाया जाता है। हल्दी मेंहदी और साज श्रृंगार से लेकर शिव बाबा की बारात में शिव के भक्त झूमकर नाचे।
जबकि व्याख्यान कार्यक्रम के शुभारंभ में दीप प्रज्वलन किया गया। सुबह के सत्र में डॉ प्रशांत लहारिया (आई एम ए अध्यक्ष), डॉ जे पी गुप्ता, श्रीमती आशा सिंह, श्री शालिग्राम गोयल (भारत विकास परिषद), श्री निगम (पूर्व डिप्टी कमीश्नर ट्रांसपोर्ट), श्रीमती कल्पना बोहरे, श्री अभय चौधरी (भाजपा अध्यक्ष) श्री रमेश अग्रवाल (पूर्व विधायक), श्री प्रवीण अग्रवाल श्री महेश कुमार (स्थानीय सम्पादक दैनिक भास्कर), बसंत गोड़याले (प्रांतीय पदाधिकारी हिन्दू जागरण मंच), डॉ निर्मला शर्मा सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
जबकि कार्यक्रम के अंत में चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स, नया बाजार असोसिएशन, पंजाबी सेवा समिति, भारत विकास परिषद, अखिल भारतीय स्वास्थ्य संघ सहित विभिन्न संगठनों ने आदरणीय दीदी जी का सम्मान किया। दीदी ने उन्हें ब्रह्माकुमारी की ओर से स्मृतिचिन्ह प्रदान किया।
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