अंकित तिवारी, केरल, NIT:
4 व 5 फरवरी 2024 को जलपुरुष राजेंद्र सिंह जी केरल पहुंचे। यहां गंगा मिशन के मुख्य निदेशक श्री अशोक कुमार जी के गांव में पंबा नदी के सर्वेक्षण की बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून के कई रिसर्चर भी मौजूद रहे। बैठक में जलपुरुष राजेंद्र सिंह जी ने बोलते हुए कहा कि, श्री अशोक जी ने अपने घर पर पंबा नदी का रिसर्च इंस्टीट्यूट बनाने का जो निर्णय लिया है, हमसब उसका स्वागत करते हैं।
केरल की 44 नदियां इस वक्त आईसीयू में भर्ती है, जबकि केरल एक समृद्ध राज्य है, यहां खूब पानी है। परन्तु यहां की नदियों में प्रवाहित होती गंदगी केरल का बड़ा ही शर्मनाक अध्याय है। इसको ठीक करने के राज, समाज के संत, वैज्ञानिक सब जुड़कर काम करना होगा तभी यह सही हो सकती है। जिस प्रकार महाराष्ट्र सरकार ने चला जानूया नदीला उपक्रम शुरू करके नदियों के प्रति चेतना जगाने का एक अद्भुत काम कर रही है। उसी प्रकार केरल राज्य में भी काम होना चाहिए, जिसमें समाज और राज्य दोनो भागीदार हों।
जलपुरुष ने आगे कहा कि, नदियों को ठीक करना केवल सरकारों का काम नही है, यह तो राज्य और समाज की बराबर जिम्मेदारी है। लेकिन राज्य के अधिकार क्षेत्र में नदियां आती है, इसलिए जिसका अधिकार क्षेत्र है उसकी सबसे ज्यादा जिम्मेदारी है। यदि राज्य के पास यह अधिकार ना होता तो यह दोष समाज के ऊपर डाला जा सकता था।लेकिन राज्य ने कानून बनाकर नदियों पर अपना मालिकाना निश्चित कर लिया तो फिर समाज से ज्यादा राज की जिम्मेदारी है, इसलिए राज्य को ही यह काम करना होगा।
वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून के रिसर्चर और अशोक जी को संबोधित करते हुए जलपुरुष ने कहा कि, आप सभी को महाराष्ट्र में जाकर देखना चाहिए कि, बिना पैसा खर्च किए 111 नदियों के स्थिति की रिपोर्ट तैयार की है। इसमें जलबिरादरी के साथियों को लगाकर और सरकार के अधिकारियों ने गंभीरता पूर्वक इस काम को किया है। महाराष्ट्र में जैसा नदियों के साथ समाज का जुड़ाव हुआ है, वैसा ही सभी जगह करने की जरुरत है।
इस अवसर पर अशोक कुमार जी ने कहा कि, मैं स्वयं महाराष्ट्र में जाकर चला जानूया नदीला उपक्रम देखूंगा और अन्य राज्यों में करनें का प्रयास करेंगे। जलपुरुष ने कहा कि, सरकारी अच्छी रिपोर्ट भी बनाकर, अलमारी में बंद करके रख दी जाती है, इन रिपोर्ट से काम नहीं है। रिपोर्ट तो वो काम आती है,जिसको समाज के लोग स्वयं बनाते है, क्योंकि उनमें समाज का मन मस्तिष्क जुड़ जाता है। इसलिए महाराष्ट्र में समाज के द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को कोई भी अधिकारी मना नही कर सकता कि, यह काम हम नही करेंगे। इस रिपोर्ट में जिला अधिकारी के अधीन रहने वाले अधिकारीओ ने भी इसको तैयार करने में बराबर की भूमिका निभाई है।
इसी प्रकार राजस्थान में चंबल की नौ नदियों को यहां के लोगो ने अपने मेहनत से तरुण भारत संघ के साथ जुड़कर पुनर्जीवित करने का काम किया है। अब यह नदियां बह रही है। इससे यहां के बंदूकधारियों ने अपनी बंदूक छोड़कर पानी के काम में जुटकर, अब खेती का काम कर रहे है। यह सामुदायिक विकेंद्रित जल प्रबंधन का अद्भुत उदाहरण है। इन उदाहरणों से सीखकर काम करने की जरूर है।
अंत में अशोक कुमार जी ने सभी को धन्यवाद दिया। इसके बाद यात्रा वापिस त्रिवंत्रम से चंबल क्षेत्र नौ नदियों के पुनर्जीवन का काम देखने के लिए दिल्ली से डॉ इंदिरा खुराना, अशोक कुमार जी के साथ रवाना हुई।
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