प्रशासनिक सेवा में सीकर शहर के मुस्लिम समुदाय की भागीदारी शून्य | New India Times

अशफाक कायमखानी, सीकर (राजस्थान), NIT;​प्रशासनिक सेवा में सीकर शहर के मुस्लिम समुदाय की भागीदारी शून्य | New India Timesराजस्थान के शेखावाटी जनपद का दिल कहलाने वाले सीकर शहर के मुस्लिम समुदाय की शैक्षणिक व आर्थिक स्थिती अन्य जगह के मुसलमानों के मुकाबले ठीक ठाक होने के बावजूद उनकी प्रशासनीक सेवा में भागीदारी अभी तक शुन्य ही बनी हुई है, जबकि छोटे छोटे गावं-ढाणियों मे अभावों के मध्य जीवन जीने वाले बच्चों की इस सेवा में भागीदारी चाहे धीमी रफ्तार से हो रही हो लेकिन अक्सर नजर आती रहती है।

हालांकि सीकर शहर के मुस्लिम समुदाय में कोई टाटा-बिरला व अजीम भाई प्रेमजी की राह तो नही पकड़ पाया लेकिन उनकी खिदमत ऐ खल्क की राह पर चलने वाले चाहे कम लेकिन समय समय पर चलने वाले दानी व भागी जरुर शहर में पैदा होते रहे हैं। सेठ नूर मोहम्मद कुरेशी से लेकर सेठ रमजान गहलौत तक सैंकड़ों लोग ऐसे रहे हैं जिनके नाम के आगे सेठ लगता रहा है। मौजूदा समय में शिक्षा के क्षेत्र में वाहिद चौहान व दान के क्षेत्र में सैय्यद शब्बीर अली के कभी कभार अभावों में आने की हालत के बावजूद अपने खिदमत-ऐ-खल्क के काम को लगातार जारी रखने की तारीफ जितनी की जाये वह कम ही आंकी जायेगी। सीकर शहर के श्री कल्याण अस्पताल को एक समय में तत्तकालीन अति आवश्यकतानुसार मरहूम हुसैन बक्स तवंर ने एक जनरेटर दान देकर जो सिलसिला शुरु किया था उसको आगे बढाने के लिये इसी अस्पताल के चपरासी रहे मरहूम सिराज अली के बेटे सैय्यद शब्बीर अली ने लाखों रुपयों की आधुनिक डायलेसिस मशीन व अन्य जदीद उपकरण उपलब्ध करवा कर खिदमत ऐ खलक के काम को जारी रखा है। लेकिन अभी तक एक भी बंदा ऐसा सामने नहीं आया है, जो कहे कि वो पांच उन बच्चों की आर्थिक मदद करेगा जो प्रशासनीक सेवा की तैयारी करने के लिये जयपुर व प्रदेश के बाहर जाकर तैयारी करना चाहते हैं स। चाहे वजह कुछ भी रही हो लेकिन यह सत्य है कि सीकर शहर के मुस्लिम समुदाय का एक भी शख्स अभी तक प्रशासनीक सेवा मे भागीदारी निभाने से कोसों दूर ही है। ​प्रशासनिक सेवा में सीकर शहर के मुस्लिम समुदाय की भागीदारी शून्य | New India Timesहालांकि सीकर शहर के मुस्लिम समुदाय को इस तरफ आकर सबक लेने के लिये उनके सामने आदर्श के तौर पर अक्सर मुस्लिम आफिसर भी यहां पोस्टेड होते रहे हैं। मोहम्मद सबीरुद्दीन खान जिला कलेक्टर, अशफाक हुसैन सहायक कलेक्टर, शीराज अली जैदी उपखण्ड अधिकारी, डा.शमसुद्दीन खान रजिस्ट्रार, शेखावाटी विश्वविधालय एवं हेदर अली जैदी जिला पुलिस अधीक्षक व कुवर सरवर खान अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद कार्यरत रह चुके हैं। इनके अतिरिक्त सैय्यद मुकर्रम शाह उपमहानिरीक्षक, पंजीयन व मुद्रांक व मोहम्मद अय्यूब खान उप पुलिस अधीक्षक जैसे पदों पर मौजूदा समय में कार्यरत हैं। इन सब के अतिरिक्त जरा हटकर नजर डालें तो भंवरु खां जिला जज व मुजफ्फर चौधरी, इसरार खोकर एवं अंजुम खान न्यायीक अधिकारी के तौर पर सेवा देते हुये एक आदर्श रह चुके हैं। इतर नजर डालें तो जलदाय विभाग में नईमुल हक व बीजली विभाग मे मिन्हाजुद्दीन superintendent engineer रह चुके हैं। शहर के मोहम्मद फारुक जयपुर मे बीजली विभाग में SE व खुर्शीद हुसैन x.en पद पर सेवा भी दे रहे हैं।

 अभी राजस्थान के जारी हुये सरकारी आंकडों से प्रतीत होता है कि कॉलेज स्तर पर मुस्लिम समुदाय के बच्चों में पढने वालों में 100 लड़कों के मुकाबले 106 लड़कियां तालीम ले रही हैं। जबकि सीकर शहर का आंकड़ा इससे भी लड़कियों का प्रतीशत काफी अधिक है। इन आंकडों के साथ साथ बना शैक्षणिक माहौल के अनुसार अगर बच्चों में प्रशासनीक सेवा की तरफ जाने का शौक उनमें पैदा करने के लिये किसी भी तरह की कार्ययोजना पर अमल किया जाये तो शहर में जल्द एक सुनहरा माहौल पैदा हो सकता है।

कुल मिलाकर यह है कि माहौल पूरी तरह अनुकूल होने के बावजूद सीकर शहर के मुस्लिम समुदाय में बच्चों का प्रशासनीक सेवा की तरफ जाने के लिये उनकी ठीक से जहनशाजी करके वतन की खिदमत करने की तरफ सभी को सोचना होगा। अन्यथा इस दौड़ में हम अगर इसी तरह अब पिछड़ते चले गये तो सदियाँ हमें पछताना होगा।


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