सीकर जिले में घटते जलस्तर से परेशान अब विकल्प के तौर पर भेड़-बकरी पालन करने लगे | New India Times

अशफ़ाक़ क़ायमखानी, सीकर/जयपुर (राजस्थान), NIT:

सीकर जिले में घटते जलस्तर से परेशान अब विकल्प के तौर पर भेड़-बकरी पालन करने लगे | New India Times

सिंचाई के लिये नहर का पानी नहीं आने व घटते जल स्तर से परेशान किसान अब अपने घर के हालात ठीक करने के लिये विकल्प के तौर पर भेड़-बकरी पालन का सिलसिला शुरु कर दिया है।

राजस्थान में वैसे तो सीमावर्ती जिलों में जंगलों व रेगिस्तान में भेड़-बकरी पालन का धंधा आम होता था एवं अब भी बड़ी तादाद में लोग करते हैं। लेकिन सीकर में जब से सिंचाई से फसल होने लगी थी तबसे भेड़-बकरी पालन का काम बहुत कम हो गया था। लेकिन ज्यो ज्यो पानी का जल स्तर घटता गया ज्यों ज्यो किसानों ने विकल्प के तौर पर पहले र्ड़ीप सिस्टम ओर अब भेड़-बकरी पालना शुरू किया है।

कुदन गावं के किसान इंजीनियर चिरंजीलाल महरिया ने बताया कि उन्होंने गिरते जल स्तर व र्ड़ाक जोन में जाते पूरे क्षेत्र की समस्या को भांप कर अब भेड़-बकरी पालन बाकायदा सिस्टेमेटिक फार्मिंग के तहत शुरू किया है। ताकि अच्छी नस्ल के भेड़-बकरी पैदा हो सके। उन्होंने चिकित्सक को भी हायर कर रखा है। ताकि जानवर की बढोतरी जल्द व स्वस्थ हो सके।

राजस्थान में सीकर की बकरा मंडी राज्य की चंद बडी मंडियों में से एक है। जहां लगभग छ सो करोड़ का कारोबार सालाना होता है। यहां की मंडी में राज्य भर से जानवर बिकने आते है। यहां से जानवर व उनका गोस्त देशभर व देश से बाहर अन्य देशों में जाने का कारोबार बड़े स्तर पर होता है।

कुल मिलाकर यह है कि सिंचाई के लिये नहर का पानी नहीं आने व जल स्तर निम्न स्तर पर जाने के विकल्प के तोर पर किसान अपनी आजीविका के लिये धीरे धीरे भेड़-बकरी पालन व उनकी फार्मिंग का काम शुरू कर दिया है।


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By nit

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