फिल्मों के माध्यम से महिला सुरक्षा और उनके अधिकारों के संबंध में किया गया जागरूक | New India Times

जमशेद आलम, ब्यूरो चीफ, भोपाल (मप्र), NIT:

फिल्मों के माध्यम से महिला सुरक्षा और उनके अधिकारों के संबंध में किया गया जागरूक | New India Times

एका-द कम्युनिकेटर्स कलेक्टिव” संस्था की ओर से भोपाल में 5 और 6 जनवरी 2023 को दो दिवसीय फिल्म महोत्सव और संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मध्यप्रदेश पुलिस, महिला एवं बाल विकास विभाग और परिमल शोध संस्था के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में “जेंडर, कंसेंट एंड लॉ” (लिंग, सहमति और कानून) विषय पर फिल्में प्रदर्शित की गई और वरिष्ठों ने उपस्थितजन का मार्गदर्शन किया। प्रथम दिवस भोपाल के मालवीय नगर स्थित शहीद भवन में और द्वितीय दिवस कार्यक्रम का आयोजन भोपाल स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज (बीएसएसएस) कॉलेज में किया गया।

फिल्मों के माध्यम से महिला सुरक्षा और उनके अधिकारों के संबंध में किया गया जागरूक | New India Times

प्रथम दिवस भोपाल के मालवीय नगर स्थित शहीद भवन में कार्यक्रम का शुभारंभ एडीजी श्रीमती अनुराधा शंकर ने किया। इस अवसर पर एडीजी श्रीमती दीपिका सूरी, डीजीपी के प्रिंसिपल स्टाफ ऑफिसर और डीआईजी डॉ. विनीत कपूर, सुश्री महीन मिर्जा, सुश्री मधु तथा एका संस्था के श्री सुरेश तोमर और सुश्री सीमा ने उपस्थितजन को संबोधित किया। विशेष रूप से इसमें मैदानी स्तर के पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारी शामिल हुए ताकि पीड़ितों की सुनवाई अधिक संवेदनशीलता से करते हुए उन्हें न्याय दिलाने में अपनी महती भूमिका निभा सकें। ऊर्जा हेल्प डेस्क प्रभारी, बाल कल्याण अधिकारी, युवा अनुसंधानकर्ताओं के साथ-साथ बड़ी संख्या में आंगवाड़ी कार्यकर्ता एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि भी शामिल रहे। वहीं द्वितीय दिवस भोपाल स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज (बीएसएसएस) कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में प्राचार्य डॉ. फादर जॉन पीजे, कॉलेज की जनसंपर्क अधिकारी मंजू मेहता और बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।

प्रेरणास्पद फिल्मों का प्रदर्शन:- कार्यक्रम के प्रथम दिवस सर्वप्रथम ‘बोल के लब आज़ाद हैं तेरे’ फिल्म प्रदर्शित की गई, जिसमें स्त्रियों के पहनावे को लेकर समाज की संकीर्ण मानसिकता के बारे में दर्शाया गया। इसके पश्चात कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ होने वाले दुराचरण से संबंधित 5 लघु फिल्में दिखाई गई। इसके बाद थाने में महिलाओं की बात की सुनवाई न हाेने के विषय पर ‘आईका टू द बाइका’ का और अंत में ऑनर किलिंग और खाप पंचायतों से संबंधित विषय पर आधारित फिल्म का प्रदर्शन किया गया। इसी प्रकार द्वितीय दिवस बीएएसएस कॉलेज में भी प्रेरणास्पद फिल्मों का प्रदर्शन कर उपस्थित विद्यार्थियों को महिला सुरक्षा और उनके अधिकारों के संबंध में जागरूक किया गया।

स्त्री को अवसर मिलने पर असंभव को भी संभव बना सकती है: एडीजी श्रीमती अनुराधा शंकर
एडीजी श्रीमती अनुराधा शंकर ने कहा कि कानून में सहमति से अर्थ अधिकारों का हनन है। उन्होंने कहा कि हमारी दिनचर्या में भी सहमति नहीं ली जाती जैसे बच्चे किस विषय का चयन करेंगे, इसकी सहमति नहीं ली जाती, कपड़े पहनने में सहमति नहीं, कुछ भी खाने में सहमति नहीं यहां तक कि विवाह करने जैसे महत्वपूर्ण निर्णय में भी सहमति नहीं ली जाती है। हमारे यहां पौराणिक काल से ही कभी स्त्रियों के सम्मान या सहमति की संस्कृति नहीं रही है। हमें इस सोच व संस्कार को, इस संस्कृति को बदलना होगा। उन्होंने कहा कि समाज को परिवार नाम की संस्था की ओर देखना होगा। परिवार भी आपसे तब तक जुड़ा रहेगा, जब तक आपके पास उपार्जन शक्ति होगी। परिवार नाम की इस संस्था का रिइमैजिनेशन व रिइन्वेंशन हमारे यहां जरूरी है। उन्होंने कहा कि सहमति और असहमति की लड़ाई वास्तव में सत्ता संघर्ष है, क्योंकि पुरुष को स्त्री के लिए अपनी सत्ता छोड़ने में कष्ट होता है। संविधान में स्त्री, पुरुष, किन्नर सभी मात्र व्यक्ति हैं और प्रत्येक व्यक्ति को बराबरी का हक है। यह बराबरी अवसर की बराबरी है। स्त्री हो, पुरुष हो या किन्नर सभी को बराबरी का अवसर मिलना चाहिए क्योंकि बुद्धि लिंग आधारित नहीं होती है। स्त्री को भी यदि अवसर मिला तो वह असंभव को भी संभव कर सकती है। समाज को चाहिए कि किसी के शरीर से उसकी शक्ति को न मापे, बल्कि स्वतंत्र रूप से सोचें।

स्त्री को अवसर मिलने पर असंभव को भी संभव बना सकती हैं: एडीजी श्रीमती दीपिका सूरी
एडीजी श्रीमती दीपिका सूरी ने कहा कि “जेंडर, कंसेंट एंड लॉ” हमारे समाज का महत्वपूर्ण विषय है। आज भी हमारे समाज में पारिवारिक मामलों में महिलाओं की सहमति या असहमति को महत्वपूर्ण नहीं माना जाता जबकि सभ्य समाज के निर्माण में हर निर्णय में महिलाओं की भागीदारी की आवश्यकता है। हमारे देश में महिला अपराध संबंधी कानून है, लेकिन आज भी वे अपने न्याय पाने के लिए आगे आने में झिझकती हैं। निश्चित रूप से इन विषयों पर नागरिकों, विशेषकर महिलाओं का ध्यान आकर्षण जरूरी है। खासतौर पर महिलाएं कानूनों के प्रति सजग हों और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं। मध्यप्रदेश पुलिस लगातार महिला एवं बाल अपराधों के प्रति संवेदनशीलता से कार्य कर रही है। पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को निरंतर संवेदनशीलता से व्यवहार करते हुए पीड़ितों को शीघ्र न्याय दिलाने के लिए प्रशिक्षित भी किया जा रहा है। सबसे महत्वपूर्ण हमारे परिवार के लड़कों को बचपन से महिलाओं का सम्मान और उन्हें समानता का अधिकार प्रदान करने के बारे में सिखाया जाना चाहिए। निश्चित रूप से ऐसेे आयोजन समाज को नई दिशा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

स्त्रियों को स्वतंत्रता, समानता और सुरक्षा का अधिकार मिलना जरूरी: डॉ. कपूर
डीजीपी के प्रिंसिपल स्टाफ ऑफिसर और डीआईजी डॉ. विनीत कपूर ने कहा कि लोगों को स्त्रियों के अधिकार के संबंध में जागरूक करने, कानून व्यवस्था को महिला सुरक्षा की दिशा में सुदृढ़ बनाने के लिए आयोजित यह फिल्म महोत्सव और संगोष्ठी अपनी तरह का पहला आयोजन है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य समाज को महिलाओं के प्रति संवेदनशील बनाना है। आमजन के लिए समय-समय पर इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहना चाहिए। मप्र पुलिस और महिला एवं बाल विकास के साथ मिलकर इस आयोजन को सफल बनाने के लिए बीएसएसएस कॉलेज तथा एका व पार्टनर्स इन लॉ एंड डेवलपमेंट संस्थाएं साधुवाद की पात्र हैं। समाज के सर्वांगीण विकास के लिए स्त्रियों को स्वतंत्रता, समानता और सुरक्षा का अधिकार मिलना ज़रूरी है।


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