साबिर खान, लखनऊ, NIT; उत्तर प्रदेश की राजनीति ने नया मोड ले लिया है। सत्ताधारी पार्टी के मुखिया ने अपने ही बेटे और भाई पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाकर 6 साल के लिए पार्टी से बाहर कर दिया है। जिससे नाराज हो कर अखिलेश यादव के समर्थक सड़कों पर उतर आए हैं।लखनऊ में शुक्रवार शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने कहा कि उम्मीदवारों की लिस्ट बनाने का अधिकार केवल पार्टी अध्यक्ष को है।दूसरा कोई उम्मीदवारों की लिस्ट नहीं बना सकता है। रामगोपाल द्वारा सम्मेलन बुलाने पर मुलायम सिंह ने कार्रवाई करते हुए उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से बाहर कर दिया है जबकी अलग लिस्ट जारी करने से नाराज सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को भी 6 साल के लिए पार्टी बाहर कर दिया है। मुलायम सिंह ने दोनों को कारण बताओ नोटिस भेजा है। इनपर अनुशासनहीनता का आरोप लगाया गया है। सपा सुप्रीमो बयानबाजी को लेकर रामगोपाल से नाराज बताए जा रहे हैं। गुरुवार को अखिलेश यादव ने 235 उम्मीदवारों की अपनी अलग लिस्ट जारी की थी। जिसके बाद शिवपाल यादव ने 68 और नाम घोषित कर 403 में से 393 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया था। अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव को पार्टी से बाहर निकालने की खबर मिलते ही अखिलेश समर्थक सड़कों पर उतर आए हैं और विरोध प्रदर्शन करते हुए शिवपाल यादव और अमर सिंह का पुतला भी जलाया है। सत्ताधारी समाजवादी पार्टी में अंतर्कलह और बदलते घटनाक्रम से पार्टी की छवि धूमिल होती दिखाई दे रही है। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के इस कठोर कार्रवाई के बाद अखिलेश यादव पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। सियासी गलियारों में तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कुछ लोगों का अनुमान है कि इस घटनाक्रम के बाद अब सपा की दोबारा सत्ता में आने की संभावना कम है। इस बीच अब मुख्यमंत्री पद को लेकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है। अब देखना यह है कि अखिलेश यादव की आगे की रणनीति क्या होगा?
समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह यादव और बेटे अखिलेश के बीच महीनों से विवाद चल रहा था। 2016 के आख़िर तक यह कलह चरम पर पहुंच गई और आख़िरकार अखिलेश को पार्टी से बाहर कर दिया गया।
पूरे घटनाक्रम पर एक नज़र:-
15 अगस्त: क़ौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय होना था। अखिलेश यादव ने इस विलय को रोक दिया। ऐसा उन्होंने तब किया जब मुलायम सिंह और शिवपाल यादव इस विलय के लिए पूरी तरह से तैयार थे। इसे शिवपाल यादव ने अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया और उन्होंने पार्टी से इस्तीफ़ा देने धमकी दे दी। शिवपाल को मुलायस सिंह ने इस्तीफ़े से रोका।
13 सितंबर: राज्य के मुख्य सचिव दीपक सिंघल को अखिलेश यादव ने हटा दिया। दीपक सिंघल को शिवपाल का करीबी माना जाता है। ऐसा सिंघल की नियुक्ति के दो महीने बाद ही हो गया। शिवपाल को अखिलेश के इस फ़ैसले से एक और झटका लगा।
13 सितंबर: अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश पार्टी अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। अखिलेश को हटाने के बाद मुलायम सिंह ने अपने भाई शिवपाल यादव को यह जिम्मेदारी दे दी। अध्यक्ष पद वापस लेने के जवाब में अखिलेश ने शिवपाल से अहम विभागों को छीन लिया। उन्होंने राहुल भटनागर को मुख्य सचिव बनाया।
14 सितंबर: परिवार में बढ़ती कलह पर अखिलेश यादव ने कहा कि यह विवाद सरकार में है न कि परिवार में। अखिलेश ने यह भी कहा कि यह विवाद किसी बाहरी आदमी के कारण है। अखिलेश की इस टिप्पणी को अमर सिंह की तरफ संकेत के रूप में देखा गया।
15 सितंबर : बढ़ते विवाद के बीच मुलायम सिंह के चचेरे भाई रामगोपाल यादव ने कहा कि पार्टी में कई मुद्दों पर संकट है, लेकिन इसे सुलझा लिया जाएगा। उन्होंने अखिलेश यादव का खुलकर समर्थन किया और कहा कि यूपी प्रदेश अध्यक्ष से अखिलेश को हटाना पार्टी का ग़लत फ़ैसला है।
15 सितंबर: समाजवादी पार्टी नेता नरेश अग्रवाल ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ही पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री उम्मीदवार होंगे। उन्होंने कहा कि यदि कोई बाहरी पार्टी में कलह बढ़ा रहा है तो उसे रोका जाना चाहिए।
15 सितंबर: शिवपाल यादव ने उत्तर प्रदेश की कैबिनेट से इस्तीफ़ा दे दिया। इसके साथ ही उन्होंने यूपी प्रदेश अध्यक्ष पद से भी इस्तीफ़ा दे दिया। शिवपाल ने कैबिनेट से गायत्री प्रजापति और राजकिशोर को निकाले जाने की प्रतिक्रिया में यह फ़ैसला लिया था। इन दोनों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं।
18 सितंबर: अखिलेश यादव ने कहा कि उनके चाचा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बने रहेंगे। उन्होंने गायत्री प्रजापति को भी फिर से पार्टी में शामिल करने की बात कही। अध्यक्ष बनने के बाद शिवपाल ने रामगोपाल यादव के रिश्तेदार को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। उन्होंने रामगोपाल से भतीजे अरविंद प्रताप यादव को भी पार्टी से निकाल दिया।
19 सितंबर: पार्टी में अखिलेश यादव के घटते कद को लेकर समाजवादी पार्टी में कई युवा नेताओं ने इस्तीफ़ा देना शुरू कर दिया। इससे पहले शिवपाल यादव ने सात युवा नेताओं को पार्टी से निकाल दिया था।
3 अक्टूबर: उत्तर प्रदेश में 2017 के फरवरी महीने में चुनाव होने हैं। पार्टी में उम्मीदवारों के चयन को लेकर दोनों खेमों में तनातनी शुरू हो गई। पार्टी की तरफ से जो उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की गई उसमें अखिलेश की पसंद का खयाल नहीं रखा गया। इसके बाद अखिलेश खेमा बुरी तरह से नाराज हो गया।
28 दिसंबर: मुलायम सिंह ने शिवपाल यादव के साथ 325 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी। इस लिस्ट में अखिलेश की पसंद के उम्मीदवारों की उपेक्षा की गई। इसे लेकर अखिलेश ने मुलायम सिंह से मुलाक़ात भी की लेकिन कोई बात नहीं बनी।
29 दिसंबर: अखिलेश यादव ने अपनी तरफ से 235 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। इसे लेकर पार्टी टूटने के कगार पर आ गई।
30 दिसबंर: मुलायम सिंह ने अनुशासनहीनता का आरोप लगाकर अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव को समाजवादी पार्टी से 6 साल के लिए निकाल दिया।
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