अबरार अहमद खान, स्टेट ब्यूरो चीफ, भोपाल (मप्र), NIT:
जो युवा होते हैं वह कभी बीमार नहीं पड़ते क्योंकि वह भागदौड़ करते रहते हैं, एक्सरसाइज कर रहे होते हैं। पर ऐसा नहीं है। युवाओं को भी बहुत सी बीमारियां होने के चांस रहते हैं और ज्यादातर उनकी लापरवाही के चलते वह बीमार होते हैं। सिद्धार्थनगर के विश्व विख्यात होम्योपैथी चिकित्सक डॉक्टर भास्कर शर्मा ने कहा कि आंकड़ों पर नज़र डालें तो पिछले एक दशक में केवल भारत में 2.40 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2014 से 2017 के बीच 82,289 लोगों की मौत हार्ट अटैक से हुई है, यानी हर वर्ष औसतन 20 हजार मौतें हार्ट अटैक से हुईं। 2018 से 2021 के बीच हार्ट अटैक से 1,10,898 लोगों की मौत हुई है। 2019, 2020 और 2021 में तो हार्ट अटैक से 28 हजार से ज्यादा मौतें हुई हैं। 2021 के आंकड़ों पर नज़र डालें तो हार्ट अटैक से सबसे ज्यादा मौतें 45 से 59 वर्ष की उम्र में हुई है। इस आयुवर्ग के 11,190 लोगों की मौतें हार्ट अटैक से हुई है। हार्ट अटैक से जुड़े ये आंकड़े भी चौंकाते हैं कि ज्यादातर पुरुष ही हार्ट अटैक के शिकार होते हैं। 2021 में हार्ट अटैक से 24,510 पुरुषों की मौत हुई हैं, जबकि 3,936 महिलाओं की मौत हुई हैं।
इस समय युवाओं में दिल के दौरे पड़ने के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। डॉक्टर भास्कर शर्मा ने यह भी कहा कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार, भारत में 40-69 साल के आयु वर्ग में होने वाली मौतों में से 45% मामले दिल की बीमारियों के होते हैं। डॉक्टर भास्कर शर्मा ने कहा कि, यूरोपीय लोगों की तुलना में भारतीयों को दिल की बीमारियाँ जीवन में कम से कम एक दशक पहले प्रभावित करती हैं। वास्तव में, दिल की बीमारियों की वजह से भारत में संभावित कामकाजी वर्षों का सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है। कामकाजी वर्षों के नुकसान से जुड़े आंकड़ें बताते हैं कि साल 2000 में यह आंकड़ा 9.2 मिलियन साल का था जिसके 2030 तक दोगुना होकर 17.9 मिलियन साल होने की उम्मीद है।
डॉक्टर भास्कर शर्मा ने कहा कि युवा शिकार इसलिए हो रहे है कि एक तो भारतीयों में हृदय रोग होने की आनुवांशिक प्रवृति अधिक होती है। दूसरी चीज कि हमारे देश में युवाओं की लाइफस्टाइल में हो रहे बदलाव से टाइप-2 डायबिटीज, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और खराब कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियां बेहद तेजी से बढ़ रही हैं। ये बीमारियाँ हार्ट अटैक के खतरे को और बढ़ाती हैं। डॉक्टर भास्कर शर्मा ने यह भी कहा कि अटैक होने से कई दिन पहले से ही आपके शरीर में सीने में भारीपन महसूस होना, सीने में दर्द होना, गले, जबड़े, पेट या कमर के ऊपरी हिस्से में दर्द होना, सीने में खिंचाव या जलन महसूस होना, किसी एक बांह या दोनों बांहों में दर्द होना, सांस फूलना आदि शुरुआती लक्षण देखने को मिलते हैं।
डॉक्टर भास्कर शर्मा ने कहा कि युवाओं को बेहतर होगा कि साल में या दो साल में कम से कम एक बार कार्डियक स्क्रीनिंग से जुड़े टेस्ट जैसे कि ईसीजी, इकोकार्डियोग्राम, स्ट्रेस टेस्ट, कार्डियक सीटी या ट्राईग्लिसराइड और ब्लड शुगर टेस्ट, होमोसिस्टीन आदि टेस्ट ज़रूर करवाएं।
डॉक्टर भास्कर शर्मा ने कहा कि दिल का दौरा पड़ने से बचाव के लिए धूम्रपान छोड़ने, कोलेस्ट्रॉल के स्तर की जांच और नियंत्रण रखें, रक्तचाप के स्तर को नियंत्रित करें, व्यायाम करें और शारीरिक रूप से फिट रहें, अतिरिक्त वजन कम करें, उचित नींद लें, तनाव का प्रबंधन करो, ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखें।
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