अशफ़ाक़ क़ायमख़ानी, ब्यूरो चीफ, जयपुर (राजस्थान), NIT;
हालांकि कायमखानी समुदाय के हित में आर्थिक, सामाजिक व शैक्षणिक सहित राजनीतिक चेतना के लिये काम करने की जिम्मेदारी निभाने वाली उसकी पवित्र संस्था राजस्थान कायमखानी महासभा के चुनाव एक लम्बे अर्से से नहीं होने के चलते संस्था का वजूद कायम रखना मुश्किल व दुखदायक साबित हो रहा है। इन मुश्किल हालातों के बावजूद कुछेक सामाजिक चेतना रखने वाले लोगों द्वारा महिला शिक्षा की तरफ तेज़ी के साथ कदम बढाना शुरू करने के सार्थक परिणाम आने लगे हैं।
वैसे तो कायमखानी समुदाय से महिला आईपीएस, आईआरएस सहित न्यायिक सेवा के अलावा फौज में अधिकारी बनकर समाज को शैक्षणिक क्षेत्र में बढ़ने की राह दिखाई है। वकालत/इंजीनियरिंग/मेडिकल/ शैक्षणिक क्षेत्र सहित अन्य सेवाओं में भी महिलाओं की उपस्थिति नज़र आने लगी है। सीमित सुविधाओं के बावजूद लड़कियों का शैक्षणिक क्षेत्र में सक्सेस रेट लड़कों के मुकाबले अधिक हैं।
उच्च शिक्षा के लिये गावं से शहर व शहर से दूसरे शहर में लड़कियों को पढ़ाने के लिये सबसे पहले उसके लिये सुरक्षित आवास की व्यवस्था का होना आवश्यक है फिर अकेली लड़कियों के रहने के लिये तो बहुत ही मुश्किल हालातों से गुजरना होता है।
चंद लोगों का इस तरफ ध्यान जाने के बाद उनके नेक मकसद में अन्य लोग भी जुड़कर इकरा फाऊंडेशन नामक संस्था का गठन करके एजुकेशन हब कहलाने वाले सीकर शहर में मुस्लिम समुदाय की लड़कियों के लिये सुरक्षित व सुगमता को ध्यान में रखते हुये बहुमंजिला हास्टल का निर्माण शुरू किया था जिसकी सभी मंजिल की छत डल चुकी है। उसका अब अन्य फिनिशिंग का काम होना बाकी है जो चल रहा है। इसी तरह प्रदेश में समुदाय के सबसे पुराने कायमखानी होस्टल, जोधपुर के पिछले हफ्ते आयोजित एक समारोह में भी तय किया है कि जोधपुर में भी गलर्स हास्टल का निर्माण होगा जो जल्द शुरू होने वाला है।
कुल मिलाकर यह है कि आज चल रहे मुश्किल हालात में कायमखानी समुदाय के लोगों द्वारा गलर्स एजुकेशन को आवश्यक मानकर उसमें तेज़ी लाने के लिये मुस्लिम समुदाय को साथ लेकर जगह जगह गलर्स हास्टल बनाने के लिये कदम बढाये हैं उसके चलते एक नये सवेरे का आगमन निश्चित होगा।
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