जमशेद आलम, ब्यूरो चीफ, भोपाल (मप्र), NIT:
कहते हैं कि काली अंधियारी रात के बाद एक नई सुबह एक नए प्रकाश के साथ अवश्य होती है जो नई जिंदगी की नई तस्वीर और नई तकदीर के भविष्य को गढ़ती है। फिर चाहे वह पशु पक्षी हो या मनुष्य सभी का विकास करती है। जिसका गवाह इतिहास भी है। ऐसा ही एक नया सूर्योदय 3 दिसंबर को फिर दोहराया जा रहा है, जब प्रदेश की एक नई तस्वीर के साथ प्रदेश की जनता की उम्मीदों, आकांक्षाओं, अपेक्षाओं और उनके भविष्य के निर्माण का नया सबेरा होने जा रहा है और कमलनाथ बदलेंगे उस वीभत्स त्रासदी की तस्वीर को। विदित है कि 2 और 3 दिसंबर की दरमियानी रात एक घनघोर अंधेरी काली रात का साया राजधानी के लिए मनहूसियत लेकर आया, चारों ओर घोर सन्नाटा चीख चीखकर कह रहा था की यह काली छाया का बदला कहां से आया।
राजधानी भोपाल में हुई त्रासदी से हजारों लोगों की बेवजह जान चली गई। जिसकी चिंगारी पूरे देश ही नहीं विश्व में एक बड़ा प्रश्न बनकर रह गई। जहां देखो वहां लाशों के मंजर ही नजर आ रहे थे। मानो ऐसा लग रहा था जैसे एक बार फिर जलियांवाला बाग कांड घटित हो गया हो, लेकिन यहां मामला कुछ और ही था । वह मनहूस काला दिन था, जब राजधानी के यूनियन कार्बाइड में गैस रिसीव हुई। उस काली छाया का दिन आज भी अमन पसंद गंगा यमुनी तहजीब के लोग उस क्षण को भुला नहीं पा रहे हैं।
लेकिन 2 और 3 दिसंबर 1984 की वह दारमनी रात और अब 3 दिसंबर 2023 की वह खूबसूरत सुबह जब एक नई सरकार बनाने के लिए प्रदेश के मतदाताओं द्वारा किए गए मताधिकार के भविष्य का पिटारा खुलने जा रहा है, जिसका परिणाम प्रदेश के भविष्य और लोगों की उम्मीद में एक नई रोशनी और नई जगमगाहट की शुरुआत करेगी। प्रदेश में एक नई सरकार की स्थापना का शंखनाद होगा और शांति के टापू कहे जाने वाले मध्य वाले मध्य प्रदेश में पिछले 18 साल से सत्ता पर काबिज़ भाजपा सरकार में व्याप्त महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, किसानों पर हो रहे अत्याचार, महिलाओं के साथ हो रहे दुराचार और घपले घोटाले की त्रासदी की काली छाया का भी अंत होगा।
प्रदेश ही नहीं देश के एक सर्वमान्य नेता श्री कमलनाथ जी इस प्रदेश की बागडोर को एक बार फिर संभालेंगे। श्री कमलनाथ को यह अवसर तो 2018 में ही मिल गया था, लेकिन सत्ता के भूखें कुछ अवसरवादी भेड़ियों ने लोकतन्त्र की हत्या कर उस पर कालिख पोत दी और प्रदेश के जनमत की पीठ पर खंजर घोंप दिया और प्रदेश के विकास का गला घोंट दिया।
कहते हैं जिसके भाग्य में जो है वह उसे मिलकर ही रहता है। यह वही कमलनाथ हैं, जिन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत से अभी तक लगातार कई चुनावों में अपनी अपराजित जीत हासिल की और देश में ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी ख्याति अर्जित की। देश ही नही विदेशों तक श्री कमलनाथ का नाम एक चुनिंदा बड़ी हस्ती के रूप में विख्यात है। आदिवासी बहुल क्षेत्र छिंदवाड़ा के एक छोटे से कस्बे शिकारपुर से अपनी राजनीति की शुरुआत करने वाले देश की आयरन लेडी श्रीमती इंदिरा गांधी जी के तीसरे पुत्र कहलाने वाले, राजीव गांधी और संजय गांधी के अभिन्न मित्रों में शुमार श्री कमलनाथ ने अपने जीवन में जो भी पाया है सब कुछ देश, प्रदेश और अपने छोटे से जिले छिंदवाड़ा के लिए समर्पित किया है। वह छिंदवाड़ा जिसे लोग कभी जानते तक नहीं थे, लेकिन आज छिंदवाड़ा मॉडल प्रदेश ही नहीं देश के लिए एक ऐसी तस्वीर है जिसका जिक्र पूरे देश में होता है। प्रदेश के छिंदवाड़ा में 108 फीट ऊंची राम भक्त श्री हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित कराने वाले हनुमान भक्त श्री कमलनाथ के नेतृत्व में 3 दिसंबर को जब नई सत्ता का शंखनाद होगा तो एक नई सुबह का प्रकाश जगमगाया, जिसकी रोशनी से चिड़िया चहचहाएंगी, प्रदेश के युवाओं में नई ऊर्जा आएगी, किसानों का मान बढ़ेगा, महिलाओं का सम्मान बढ़ेगा, खुशियां मुस्कुराएंगी और उम्मीद रंग लाएगी।
देश को ब्रिटिश हुकूमत की गुलामी की जंजीरों से छुड़ाने के लिए कांग्रेस के हजारों हजार नेताओं ने अपने सीने का लहू बहाया और एक नया इतिहास बनाया। यह सब एक महात्मा के नेतृत्व में कांग्रेस ने करके दिखाया और देश को स्वतंत्र कराया। वह महात्मा देश का राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कहलाया। फिर सबने मिलकर डॉ. भीम राव अम्बेडकर के साथ एक संविधान बनाया। उसी संविधान को साक्षी मानकर श्री कमलनाथ प्रदेश की जनता की सेवा करने के लिए फिर मुख्यमंत्री की शपथ लेंगे।
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