नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
26 नवंबर 1950 आजाद भारत में देश का अपना संविधान लागू हुआ। संविधान से नागरिकों को एक ऐसी व्यवस्था मिली जिसके तहत सरकारें जवाबदेह बनी वाकई में बनी या नहीं यह जनता जानती है। ” भारत का संविधान उन लोगों की भी रक्षा करता है जो लोग संविधान से नफ़रत करते हैं “। दक्षिण पंथी विचारधारा के समर्थक पूजा के नाम पर संविधान की कॉपी को फूल – मालाएं पहनाते दिखाई दिए उनकी इस हरकत को आप उनके भीतर छिपी सोच से जोड़कर मत देखिए। कई आयोजनों के बैनरों पर तो उन लोगों के फोटो छपवाए गए जिन्होंने तत्कालीन समय में भारत के संविधान की जमकर मुखालफत की।
प्रधानमंत्री बनने के बाद संविधान की प्रतिकृति को दंडवत प्रणाम कर संसद को संबोधित करने वाले नरेन्द्र मोदी जी ने अपनी सरकार के आखिरी साल में संविधान दिवस पर जन को वोट का धन समझकर ” मन की बात ” की। जलगांव में मंत्री गुलाबराव पाटील , गिरीश महाजन ने संविधान सम्मान कार्यक्रमों में हाजरी लगाई। संविधान से द्रोह कर महाराष्ट्र में चलाई जा रही गैर कानूनी सरकार के कारण आर्थिक मुसीबत में फंसे विकासकों की व्यथा को उजागर करती खबर में हमने संभावना व्यक्त की थी कि इस साल संविधान दिवस के उपलक्ष्य में राजनीतिक तौर पर आयोजित करवाए जाने वाले पार्टी स्तरीय समारोह काफ़ी कम हो सकते है। बिलकुल वैसा हि हुआ है जनता के बीच जा कर संविधान के प्रचार – प्रसार और जागरूकता की अपनी जिम्मेदारी को सरकार उसमें शामिल नेताओं तथा पार्टी वर्कर्स ने बड़ी चतुराई से एक अनुष्ठान में बदल दिया। जामनेर के शेंदूरनी में आज संत श्री कड़ोबा महाराज प्रायोजित रथ यात्रा का आयोजन किया गया। भगवान त्रिविक्रम महाराज मंदिर में मंत्री गिरीश महाजन और संजय गरुड़ के हाथों पूजा अर्चना की गई।
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