क्यों आत्महत्या को मजबूर है पांगरी, बसाली और नागझिरी गांव के किसान | New India Times

मेहलक़ा इक़बाल अंसारी, ब्यूरो चीफ, बुरहानपुर (मप्र), NIT:

क्यों आत्महत्या को मजबूर है पांगरी, बसाली और नागझिरी गांव के किसान | New India Times

बुरहानपुर जिले के पांगरी गांव के लगभग 1500 किसानों ने एक पीड़ादायक कदम उठाते हुए महामहिम राष्ट्रपति से सामूहिक आत्मदाह की अनुमति मांगी है। इसका कारण है शासन की मुआवजा वितरण गाइड लाइन से उनकी असंतुष्टि। जल संसाधन विभाग द्वारा प्रति हेक्टेयर 17.71 लाख रुपये के मुआवजे का प्रस्ताव भी उन्हें मंजूर नहीं है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार खकनार तहसील के पांगरी, बसाली और नागझिरी गांवों के किसानों ने मिलकर एक पत्र राष्ट्रपति को भेजा, जिसमें उन्होंने लेख किया है कि अगर मध्यम सिंचाई परियोजना का काम बिना मुआवजा तय किए शुरू होता है, तो वे सभी लोग सामूहिक रूप से आत्मदाह करेंगे। इस परियोजना के तहत, पांगरी में सिंचाई बांध प्रस्तावित है। किसानों ने अपने पत्र में लिखा है कि वे 11 महीने से न्याय और उचित मुआवजे के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनकी मांग है कि जब तक मुआवजे का उचित निर्धारण नहीं होता, तब तक बांध संबंधित कोई कार्य शुरू नहीं होना चाहिए।

इस प्रकरण में जल संसाधन विभाग के सब इंजीनियर इंद्रजीत उरमलिया बांध बनाने वाले स्थान पर हरी झंडी लगाने गए थे तब किसानों ने उन्हें झड़ी लगाने से रोक दिया बाद में किसानों की बैठक हुई और उन्होंने महामहिम राष्ट्रपति को पत्र भेजने की बात कही।

क्या है पूरा मामला

दरअसल पांगरी मध्यम सिंचाई परियोजना में कईं किसानों की जमीन डूब में आ रही है। किसानों का कहना है कि मुआवजा मूल्य का निर्धारण नहीं हुआ है। इसे लेकर किसानों की बैठक गुरूवार को हुई जिसमें जलसंसाधन विभाग के अफसर भी पहुंचे और चर्चा की। किसानों के बीच बोलते हुए डॉ. रवि कुमार पटेल ने कहा-अगर अनुचित तरीके से काम शुरू होता है तो हम 1500 किसानों ने राष्ट्रपति को पत्र भेजकर सामूहिक आत्मदाह की अनुमति मांगी है।

इस मामले में क्या कहा सब इंजीनियर इंद्रजीत उरमलिया ने

इस मामले में प्रकाश डालते हुए सब इंजीनियर ने कहा कि ₹ 17.71 लाख रूपए प्रति हेक्टेयर का प्रस्ताव भेजा है
-पांगरी मध्यम सिंचाई परियोजना प्रस्तावित है। गुरूवार को हम केवल वहां झंडी लगाने गए थे, लेकिन किसानों ने हमें रोक दिया। दरअसल किसान सरकार की गाइडलाइन के विरोध में हैं। एक प्रस्ताव बनाकर शासन को विशेष पैकेज में रेट मंजूरी के लिए भेजा है। विभाग से प्रस्ताव स्वीकृत होगा तभी मुआवजा मिलेगा। 17.71 लाख रूपए प्रति हेक्टेयर का रेट विशेष पैकेज के तहत तय कर प्रस्ताव भेजा गया है। मुआवजा वितरण हमारे हाथ में नहीं होता। विभाग से पैसा कलेक्टर को सौंपा जाता है और एसडीएम के माध्यम से वितरण होता है। हम या वरिष्ठ अधिकारी अपनी ओर से किसी प्रकार का आश्वासन नहीं दे सकते।

यह कहा नेपानगर एसडीएम अजमेर सिंगर ने

मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं मिली। इसके संबंध में मुझे किसी प्रकार की जानकारी नहीं मिली। किसानों ने इसकी कोई सूचना नहीं दी कि वह कहां जमा हो रहे हैं। किसी भी जमीन का अधिग्रहण किसानों की बिना अनुमति के होता ही नहीं है। शासन की गाइड लाइन के अनुसार ही प्रक्रिया होती है।


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