फराज अंसारी, बहराइच ( यूपी ), NIT;
बुखार झटका व टाइफाइड जैसी गंभीर बीमारियों से जुझ रहे बच्चों को शनिवार सुबह राउंड पर आये चिकित्सक ने तीन दिन की सरकारी छुट्टी का हवाला देते हुए अस्पताल से बाहर निकाल दिया। इस दौरान बच्चों के साथ आये तीमारदार रोते बिलबिलाते हुए भर्ती रखने की विनती करते रहे लेकिन डॉक्टर का दिल नहीं पसीजा।इसमें से कुछ बाल रोगी तो नाजुक हालत में शुक्रवार की शाम को ही भर्ती किये गए थे, लेकिन गंभीर बाल रोगियों के जान जी चिंता से ज्यादा डॉक्टर शम्भू दयाल को अपने आराम की चिंता सता रही है। परिजनों के बार बार गिड़गिड़ाने के बावजूद डॉक्टर ने जबरन उन्हें चिल्ड्रन वार्ड से बाहर ही नही निकाला बल्कि उनके सामान को भी बहार निकलवा दिया। इसके बाद मजबूर परिजनों की भीड़ उनके आवास पर लगी रही और डॉक्टर साहब प्राइवेट प्रेक्टिस कर मरीजों का शोषण करने में लगे रहे। शायद लगता है की अपने प्राइवेट प्रेक्टिस करने के लिए ही जिला अस्पताल में भर्ती मासूमों को जिला अस्पताल से बाहर का रास्ता दिखा दिया था।उल्लेखनीय है की रोज ब रोज बीमारियों से हो रही मासूमों की मौत पर अस्पताल के चिकित्सक अंकुश नहीं लगा पा रहे हैं, लेकिन उन्हें अपनी लापरवाही के कारण मौत के मुंह में धकेलने का काम बखूबी अंजाम दे रहे हैं। ऐसे में यदि बीमारियों से मासूमों की मौत होती है उस मौत का जिम्मेदार कौन होगा, यह बताने के लिए न तो सीएमएस तैयार हैं और न ही सी, एम, ओ। वैसे भी पिछले कई महीनों से अस्पताल में भर्ती मरीजों मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। दो माह पूर्व भी 13 दिन में 39 बच्चों की मौत का मामला सुर्खियों में रहा था लेकिन जिम्मेदार अधिकारीयों ने इन बड़ी घटनाओं पर भी न कोई जाँच बैठाई न ही चिकित्सको को कोई सबक सिखाया। मरीज और तीमारदारों के साथ चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों का अमानवीय व्यवहार रोज जारी है।इस घटना के सम्बन्ध में जब मुख्य चिकित्सा अधिक्षक को फोन लगाया तो कई बार पूरी घण्टी जाने के बाद भी फोन रिसीव नही हुआ।
मामले के शिकायत जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी से की गयी तो उन्होंने कहा इस सम्बन्ध में सी एम एस से बात करिये, मैं भी कह दे रहा हूं। इस गम्भीर प्रकरण में भी दोनों उच्य अधिकारियो का रवैया लापरवाही पूर्ण ही रहा। आखिर चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी कब तक मरीजों की जान से खेलते रहेंगे? कब इनकी जवाबदेही तय की जायेगी और कब इन पर प्रशाशन अपने कार्यवाही का शिकंजा कसेगा। फ़िल्हाल ये बताने को कोई जिम्मेदार तैयार नहीं है।
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