सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजनों तथा स्ट्रीट लाइट की रोशनी में छट गया विकास और बेरोजगारी का अंधेरा | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजनों तथा स्ट्रीट लाइट की रोशनी में छट गया विकास और बेरोजगारी का अंधेरा | New India Times

जनता को अपनी मुख्य समस्याओं से भटकाना है तो धर्म और संस्कृति के नाम पर कलात्मक राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। भाजपा के नेता इस थिअरी पर करोड़ो रुपए खर्च कर इवेंट मैनेजमेंट कर रहे हैं। सारा का सारा पैसा सरकारी खजाने से पे किया जा रहा है। 24 नवंबर से जलगांव में मराठी राज्य नाट्य प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया है। इस समारोह के आगाज स्वरूप जामनेर में एक हास्य व्यंग कार्यक्रम को मंचीत किया गया। नगर में प्रवेश करने वाली मुख्य फोरलेन सड़क की मध्यरेखा में रातोंरात खड़े करवाए गए स्ट्रीट लाइटस की चमचमाती रोशनी ने कपास के गिरते दाम, आम आदमी को रुलाता प्याज़, महंगाई, बेरोजगारी का अंधेरा कुछ दिन के लिए दूर कर दिया। ग्रामविकास मंत्री गिरीश महाजन ने मंच से प्रस्तावित बुनियादी विकास मॉडल की लंबी सूची को पेश किया जिसके तहत शहर में कई करोड़ रुपए के काम होने हैं। चुनाव आते हि सिटिंग नेताओं की ओर से की गई इस प्रकार की घोषणाएं और अतीत में की गई भविष्यवाणीयां , दावों की सच्चाई अंत मे बेरंग साबित हुई है।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजनों तथा स्ट्रीट लाइट की रोशनी में छट गया विकास और बेरोजगारी का अंधेरा | New India Times

1990 के दशक में सांस्कृतिक क्षेत्र में करियर तलाशने वाले जलगांव जिले के कई कलाकार अपनी रोजी रोटी के लिए रोजगार की खोज में पुणे – मुंबई पलायन कर चुके हैं। औद्योगिक विकास की असमानता को चुनावी मुद्दा बनाकर पश्चिम महाराष्ट्र के नेताओं को कोसने वाले भाजपा के तमाम नेता केंद्र और राज्य में अपनी दस साल की सत्ता में अपने निर्वाचन क्षेत्रों की जनता को PMGKY के मुफ्त अनाज के सिवाय कुछ भी नहीं दे पाए हैं। महाराष्ट्र की राजनिति में विधानसभा की 40 सीटे ऐसी है जिनका नेतृत्व करने वाले नेताओं को हराना इस लिए मुश्किल है क्यो कि वहां “एक राष्ट्र एक दल एक नेता” जैसी अलोकतांत्रिक सोच को समय समय पर मजबूत किया जाता है।

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NIT ने अपने पाठको को बताया था कि अकेले जामनेर ब्लॉक में 170 गांवों की पेयजल आपूर्ति योजनाओं पर बीते तीस साल में एक हजार करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। शहर में सरकारी फंड का 600 करोड़ रुपया सिस्टम का विक्टिम बना पर आज भी बुनियादी विकास का आडंबर पूरा नहीं हो सका है। महाराष्ट्र में जनवरी 2024 के बाद किसी भी वक्त आम चुनाव घोषित किए जा सकते हैं।जनता की निगाहें 3 दिसंबर पर टिकी है इस दिन पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के जो नतीजे आएंगे वह महाराष्ट्र भाजपा के मंत्रियों को दिल्ली की राजनीति में सक्रिय करने में अहम भूमिका निभाएंगे।


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