नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
राजमार्ग नं 753 और वर्क ऑर्डर के मुताबिक नंबर 8 औरंगाबाद पहुर मुक्ताईनगर बुरहानपुर मार्ग पर नाडगांव रेलवे क्रॉसिंग के विकल्प में बना फ्लाई ओवर यातायात के लिए हादसों और फजीहत सबब बन रहा है। NIT ने इस ब्रिज का मुआयना किया तो कई गंभीर तकनीकी खामियां सामने आईं, ब्रिज के पिलर के ऊपर आपस में जोड़कर बिछाए गए सीमेंट कांक्रीट के स्लॉट्स के नीचे से बड़ी बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं। पिलर का काम मजबूत किया गया है लेकिन स्लॉट्स में राख से बना सीमेंट इस्तेमाल किया गया है जो गुणवत्ता के पैमाने पर कतई खरा नहीं उतरता।
ब्रिज पर पैदल चलने के लिए सीमेंट से बनी पगडंडी के ठीक नीचे कई जगहों पर लोहे की सरिया खुली छोड़ दी है जिस से टकराकर किसी भी बाइक सवार के बचने का सवाल ही नहीं उठता। पुल के दोनों ज़ीरो यानी शुरुआती पॉइंट आगे मिलने वाली सड़क से बेमेल है। डामर से बनाई गई बायपास की पांच किमी सड़क बुरी तरह से उखड़ गई है। पुलिया पर गाडियां गड्ढों से ऐसे उछलती है की मानो हवा में उड़ रही हो। इस ब्रिज की एक बेहद मजेदार बात यह है कि इसे 2021 में बनकर तैयार होना था जो 2023 में बना और जनसेवा में खोल दिया गया। इसके मूल विकासक ने कमीशन बेसेस पर यह काम किसी सुराणा सेठ को चिपका दिया था। सुराणा ने PWD के संरक्षण में 25 करोड़ से अपना शेयर निकालकर ब्रिज के बारा बजा दिए। निर्माण क्षेत्र में रुचि रखने वाले छात्र इस प्रोजेक्ट को अपनी डॉक्टरेट के लिए अनुसंधान का विषय चुन सकते हैं। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इस ब्रिज को जनता के लिए खोल दिया गया है।
महाराष्ट्र की राजनीति में नेताओं की महिमा मंडन का चलन इस कदर हावी हो गया है कि भाजपा का कोई विधायक या मंत्री अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए कुछ करोड़ रूपए के काम मंजूर करवाता है तो गोदी मीडिया उसे नेता का जनता पर किए अहसान के तौर पर पाठकों में परोसता है लेकिन विकास की आड़ में किए जा रहे जानलेवा घटिया निर्माण और भ्रष्टाचार को लेकर माध्यम अपनी आंखे मिंच लेते हैं यहां कलम की स्याही और जमीर की गवाही सूख जाती है। इस फ्लाई ओवर के गुणवत्ता मानको की National Highway Authority of India की ओर से जांच कराने की मांग की जा रही है।
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