अशफ़ाक़ क़ायमखानी, सीकर/जयपुर (राजस्थान), NIT:
राजनीति किसी विचारों के बंधन में बंधने की प्रथा तब तक कायम रहती है जबतक राजनीति हित में चलती है। ज्यो ही राजनीतिक दल अपनी हठधर्मिता पर चल पड़ते हैं तब अधिकांश राजनितिज्ञ पाला बदल कर अपने आपको सलामत रखने के लिये झट से पाला बदल लेते है। समय की नजाकत को पहचान करते हुए पाला बदलने वाले अधिकांश नेता कामयाब होते नजर आते हैं।
कल शाम तक सीकर के खण्डेला से कांग्रेस की टिकट मांगने वाले सुभाष मील को जब टिकट नहीं मिला तो वो झट से पाला बदलकर आज भाजपा में शामिल हो गये। उन्हें भाजपा द्वारा उम्मीदवार बनाने की पूरी सम्भावना है। इसी तरह फतेहपुर से भाजपा ने स्थानीय कार्यकर्ता की बजाय उपर से श्रवण को उम्मीदवार बनाया तो स्थानीय दिग्गज भाजपा नेता मधुसुदन भिण्डा ने चुनावी मैदान में ताल ठोक कर अपने वर्चस्व को बचाने की चेष्टा की है। इसी तरह सीकर से भाजपा की टिकट होने पर भाजपा नेता ताराचन्द धायल के भी मैदान में ताल ठोकने की सम्भावना जताई जा रही है। इसके साथ ही वाहिद चौहान के अगले कदम पर सबकी नजर टिकी है। इसी हफ्ते मधुसुदन भिण्डा व सुभाष मील की तरह कुछ ओर नेता नजर आ सकते है। सुभाष मील 2018 के विधानसभा चुनाव मे कांग्रेस उम्मीदवार रहे है। जबकि भिण्डा के पिता बनवारी लाल भाजपा के 1993 मे विधायक व स्वयं मधुसुदन भाजपा की तरफ से विधानसभा चुनाव लड़ने के अलावा नगरपालिका चेयरमैन रहे है।
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