नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
महाराष्ट्र में जारी जलजीवन मिशन के कामों पर काम कर रहे तदर्थ कर्मियों को प्रशासन ने गांव गांव जा कर 1995 में बनाए गए कुओं (बावड़ी) के सर्वे का आदेश दिया है। जल जीवन के कर्मचारी गांव की ग्राम पंचायत और जिला परिषद मराठी उर्दू स्कूलों में बने बावड़ियों को GIO Taging से नाप कर उनका डेटा और वर्तमान स्थिती क्या है इसकी जानकारी जमा कर रहे है। मामले को लेकर हमने जिला परिषद के कार्यकारी अभियंता से बात की उन्होंने बताया कि 1995 मे हर गांव मे बनाई गई सार्वजनिक बावड़ी को Gio tag किया जा रहा है। Gio tag एक ऐसी तकनीक है जिसके जरिए जमीन पर किसी भी जगह की भौगोलिक स्थिति को साफ तौर पर देखा जा सकता है। जमीन की नपाई की जाती है और सारी तकनीकी जानकारी (डेटा) को सुरक्षित किया जाता है।
सूत्रों के हवाले से पता चला है कि कुओ के Gio taging के डेटा संग्रह के बाद शिंदे फडणवीस सरकार हजारो करोड़ के लागत वाली किसी बड़ी योजना की घोषणा करने की फिराक मे है। सूबे मे कुल 27, 906 गांव है जिनमे औसतन दो सरकारी कुएं होने की बात मानी गई तो 55, 812 कुओ के निर्माण के लिए MRGS (मनरेगा) तहत प्रति कुआ 3 लाख रुपए खर्च होंगे। 55, 812 कुएं खोदने के लिए तीन हजार करोड़ रूपए का फंड प्रस्तावित है। MRGS मे एक कुआ साठ फिट गहराई तक खोदा जा सकता है। अब MRGS का काम मजदूरो के नाम पर मशीन से कैसे किया जाता है इसमे शासन – प्रशासन और नेता लोग मंझे हुए खिलाड़ी है। सर्वे के बहाने बावड़ियों के सार्वजनिक निर्माण योजना का DPR तैयार किया जा रहा है। इस योजना मे कम से कम भ्रष्टाचार हो ऐसी आशा करना मतलब कमाईपुतो की बदनाम राजनीति को सम्मान देने जैसा होगा।
जल जीवन का बंटाधार – राज्य के जिस गांव में आवश्यकता नहीं है वहा भी जल जीवन योजना को जबरदस्ती जनता पर थोप कर लोकल MLAs अपने कार्यकर्ताओं और पार्टी को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर करने में लगे हैं। सूबे में अघोषित गवर्नर राज जारी है जिसमें गैर कानूनी सरकार को राज्य की तिजोरी को लूटने की खुली छूट दे दी गई है।
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