रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी/जिया उल हक कादरी, झाबुआ (मप्र), NIT:
थांदला जिन शासन गौरव जैनाचार्य पूज्य श्री उमेशमुनिजी म.सा. अणु के अंतेवासी शिष्य बुद्धपुत्र आगम विशारद
प्रवर्तक पूज्य श्री जिनेंद्रमुनिजी म.सा. की आज्ञानुवर्ती साध्वी पूज्या श्री निखिलशीलाजी म.सा. आदि ठाणा – 4 के सानिध्य में जंगम युग प्रधान जैनाचार्य पूज्य श्री धर्मदासजी म. सा. की जन्म जयंती सामूहिक आयम्बिल तप आराधना के साथ मनाई गई। पूज्या श्री निखिलशीलाजी म. सा. ने गुणानुवाद सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिन शासन की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान करने वालें धर्म धुरंधर जैनाचार्य पूज्य श्री धर्मदासजी म.सा. का नाम युगों युगों तक अमर हो गया। पूज्या श्री ने कहा कि जिन शासन में बढ़ते शिथिलाचार को रोकने में लोकाशाह के बाद पूज्य श्री धमर्दासजी म.सा. का नाम आता है। आज उनकी परम्परा के ही संत विभिन्न सम्प्रदाय के माध्यम से जिनशासन की प्रभावना कर रहे है। जैनाचार्य पूज्य गुरुदेव उमेशमुनिजी म.सा. व हम सभी आज उनकी मूल शाखा में रहकर अपना आत्मकल्याण साध रहे है।
पूज्या श्री प्रियशीलाजी म.सा. ने गुरुभक्ति पखवाड़ा मनाते पूज्य श्री उमेशमुनिजी म.सा. द्वारा रचित पद्यावली के माध्यम से पूज्य श्री धर्मदासजी म.सा. के सम्पूर्ण जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर पूज्याश्री की प्रेरणा पाकर बच्चों सहित करीब 130 आरधकों ने आयम्बिल निवि तप की आराधना की।
नवपद ओलिजी पर ज्ञान की आराधना
नवपद ओलिजी के छठे दिन 70 आरधकों ने ज्ञान की आराधना करते हुए वरण, उड़द, आयम्बिल व निवि आदि विविध तप किया। ज्ञानाराधना में णमो णाणस्स की 51 माला, 51 वंदना, 51 लोगस्स का ध्यान करते हुए 51 णमोत्थुणम दिए गए। जानकारी देते हुए संघ के प्रवक्ता पवन नाहर व ललित जैन नवयुवक मंडल अध्यक्ष रवि लोढ़ा, सचिव संदीप शाहजी ने बताया कि नवपद ओलिजी करने वालें सभी आराधनकों व आज धर्मदासजी म.सा. जयंती पर आयम्बिल करने वालें आरधकों की व्यवस्था तारादेवी सुंदरलाल भंसाली परिवार द्वारा स्थानीय महावीर भवन पर की जा रही है जिसमें संघ के सभी परिवारों द्वारा क्रमशः सेवा दी जा रही है।12 लाख नवकार महामंत्र के जाप का समापन
श्रीसंघ में पूज्या महासतियाजी की प्रेरणा से नौ दिवसीय 12 लाख नवकार महामंत्र के जाप में 115 श्रावक-श्राविकाओं द्वारा प्रतिदिन स्थानक में आकर मौन पूर्वक पंच परमेष्ठी मंत्र की 11-11 माला गिनी गई। सभी नवकार महामंत्र जप आराधकों को राजलदेवी कनकमल गादिया परिवार द्वारा प्रभावना दी गई।
12 लाख नवकार महामंत्र के जाप का समापन
श्रीसंघ में पूज्या महासतियाजी की प्रेरणा से नौ दिवसीय 12 लाख नवकार महामंत्र के जाप में 115 श्रावक-श्राविकाओं द्वारा प्रतिदिन स्थानक में आकर मौन पूर्वक पंच परमेष्ठी मंत्र की 11-11 माला गिनी गई। सभी नवकार महामंत्र जप आराधकों को राजलदेवी कनकमल गादिया परिवार द्वारा प्रभावना दी गई।
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