अतिश दीपंकर,भागलपुर(बिहार), NIT;
भागलपुर जिले के घोघा ईंट निर्माण के क्षेत्र में आमूनन सत्तर के दशक से ही अपनी एक अलग पहचान रखी है। आज ईट निर्माण घोघा की खास पहचान बन चुकी है। परन्तु नोट बंदी की वजह से घोघा की पहचान बन चुकी ईंट निर्माण धूमिल होता आ रहा है। विगत वर्ष नवंबर माह के प्रारंभ मे ही अग्नि प्रज्वलन हो जाया करता था परन्तु इस बार दिसंबर अंत तक भी ईट भट्ठों मे अग्नि प्रज्वलित नहीं हो पाई, वजह नोट बंदी।
नोट बंदी के कारण कई प्रकार की समस्या सामने खड़ी हो गई है। सीमित पैसों की बैकों से निकासी के कारण कार्य मे व्यवधान खड़ी हो रही है। मजदुरो को मजदुरी नही मिलने से मजदुरो का पलायन हो रहा है ईट खरीदने वाले क्रेता ग्राहको की कमी भी नोट बंदी की ही वजह है । विगत वर्षो का निर्माण ईंट भी स्टॉक मे बरकरार है। जिससे ईंट निर्माता की पूॅजी भी फॅसी हुई है। ईट भट्ठों की वर्तमान स्थिति के बारे मे पुछे जाने पर ईंट निर्माता अजय साह उर्फ टुनटुन साह व दिलीप साह ने बताया की घोघा मे नोट बंदी के कारण कई ईंट भट्ठे बंदी के कगार पर है। विगत वर्षों का निर्माण की गई ईंट का स्टॉक ज्योे का त्यों पड़ा हुआ है नोट बंदी की वजह से क्रेता ग्राहकों की संख्या नगण्य है। हमारी पूॅजी भी स्टॉक ईटों मे ही फॅसी हुई है। दूसरी ओर बैक से समुचित निकासी भी नही हो पा रही है जिसके कारण मजदूरों की संख्या मे हमलोगों ने काफी कटौती कर रखी है। एक सौ मजदूरों की जगह पच्चीस मजदूरों से काम चला रहे है। ईट पकाने के लिए कोयले की खरीदारी नही कर पा रहे है।विगत वर्ष मे नवंबर मे ईट पकाने का कार्य शुरू हो गया था परन्तु इस बार अभी तक ईंट पकाने मे संशय बना हुआ है। और जो मजदूर काम कर रहे है उन मजदूरों को बड़े नोट से परेशानी भी हो रही है बाजार मे छुट्टे की समस्या को लेकर मजदूर भी बड़े नोट लेने से इंकार कर जाते है। समुचित मजदूरी देने मे विलंब के कारण मजदूर भी पलायन कर रहे है। कुल मिलाकर नोट बंदी का असर ईट निर्माण पर काफी गहरा पड़ा है।
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