जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से की फिलिस्तीन में जारी खूनी संघर्ष को तत्काल रोके जाने की अपील | New India Times

अबरार अहमद खान/मुकीज खान, भोपाल (मप्र), NIT:

जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से की फिलिस्तीन में जारी खूनी संघर्ष को तत्काल रोके जाने की अपील | New India Times

जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने फिलिस्तीन में जारी खूनी संघर्ष और आवासीय क्षेत्रों पर भारी बमबारी की निंदा करते हुए इसे तत्काल रोकने की अपील की है। मौलाना मदनी ने वैश्विक शक्तियों, संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद और वर्ल्ड मुस्लिम लीग इत्यादि से तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। मौलाना मदनी ने कहा कि भारत के लोग फिलिस्तीनियों के साथ हैं जो पिछले 75 वर्षों से #इजराइल के दमनकारी कब्ज़े और हिंसा से त्रस्त हैं, जिसके कारण वह आज अपनी ही मातृभूमि में कैदियों की तरह रह रहे हैं। निःसंदेह फिलिस्तीन के लोगों का संघर्ष अपनी मातृभूमि की आजादी और पहले किबला (पहले जिस तरफ रुख करके नमाज़ पढ़ी जाती थी) को फिर से प्राप्त करने के लिए है।

मौलाना मदनी ने कहा कि इस संघर्ष का मूल आधार इजराइल द्वारा फिलिस्तीन पर अवैध कब्जा और विस्तारवादी सोच है। इस युद्ध के परिणाम को देखते हुए इसकी अत्याधिक आवश्यकता प्रतीत होती है कि संयुक्त राष्ट्र के निर्धारित सिद्धांतों के अनुसार इसे जल्द से जल्द हल किया जाए और इजराइली प्रभुत्व और उत्पीड़न से मुक्त एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना की जाए।
मौलाना मदनी ने भारत में मीडिया द्वारा मौजूदा युद्ध की शर्मनाक रिपोर्टिंग करने और अपने अधिकारों की बहाली के लिए लड़ रहे राष्ट्र को ’आतंकवादी’ कहने पर अपनी चिंता और नाराजगी व्यक्त की है और कहा है कि देश के निर्माताओं विशेष रूप से महात्मा गांधी, पंडित नेहरू और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने हमेशा फिलिस्तीनी कॉज़ का समर्थन किया है। इस अवसर पर हम देश के प्रधानमंत्री से अपील करना चाहेंगे कि वह इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष के समाधान में प्रभावी भूमिका निभाएं और इजराइल का समर्थन करने के बजाय न्याय की मांग के अनुसार स्थाई शांति की स्थापना और निर्दोष नागरिकों की जान बचाने के लिए अपने प्रभाव का सही उपयोग करें, इसी में हमारे देश का हित है और यही मानवता के प्रति हमारा कर्तव्य है।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

By nit

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading