आरजीपीवी विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ एनएसयूआई ने खोला मोर्चा | New India Times

अबरार अहमद खान/मुकीज खान, भोपाल (मप्र), NIT:

आरजीपीवी विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ एनएसयूआई ने खोला मोर्चा | New India Times

मध्य प्रदेश का एकमात्र तकनीकी विश्वविद्यालय आरजीपीवी में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ छात्र संगठन एनएसयूआई ने मोर्चा खोल दिया है।
एनएसयूआई ने विवि के कुलपति पर संगीन आरोप लगाते हुए राज्यपाल मंगू भाई पटेल को ज्ञापन सौंपा है।
एनएसयूआई नेता रवि परमार के नेतृत्व में सैकड़ों एनएसयूआई कार्यकर्ता शुक्रवार दोपहर नोटों की माला और ज्ञापन लेकर राजभवन पहुंचे।

आरजीपीवी विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ एनएसयूआई ने खोला मोर्चा | New India Times

एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने राजभवन के बाहर आरजीपीवी विश्वविद्यालय के कुलपति और कुलसचिव के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। वहीं राजभवन के अधिकारियों को नोटों की माला के साथ राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। इस दौरान एनएसयूआई नेता रवि परमार ने कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति से लेकर चपरासी तक भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। विश्वविद्यालय में खुलेआम पेपर बेचे जा रहें हैं। परमार ने 5 हजार रूपए में पेपर बेचने वाला वीडियो भी ज्ञापन के पेनड्राइव में देते हुए दोषियों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।

आरजीपीवी विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ एनएसयूआई ने खोला मोर्चा | New India Times

रवि परमार ने बताया कि विश्वविद्यालय में कई सालों से विश्वविद्यालय के कुलपति सुनील कुमार एवं कुलसचिव आर एस राजपूत की मिलीभगत से खुलेआम भ्रष्टाचार किया जा रहा है जोकि आए दिन समाचार पत्रों के माध्यम से और अन्य माध्यमों से उजागर हो रहा है। इस वजह से विश्वविद्यालय के अंतर्गत अध्ययन करने वाले लाखों छात्र-छात्राएं अपने भविष्य को लेकर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। विद्यालय के कुलपति और कुलसचिव ने विश्वविद्यालय की छवि भूमिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी विश्वविद्यालय की शिकायतों की जांच कई जांच एजेंसियों में लंबित है। अगर सभी जांच पारदर्शिता के साथ होगी तो निश्चित ही विश्वविद्यालय के कुलपति सुनील कुमार और कुलसचिव आर एस राजपूत दोषी पाए जाएंगे।

नोटों की माला दिए जाने को लेकर रवि परमार ने कहा कि RGPV में पैसे लिए बगैर कोई भी काम नहीं होते हैं। हम चाहते हैं कि महामहिम राज्यपाल इस भ्रष्टाचारी कुलपति को नोटों की माला पहनकर बैठने का निर्देश दें, ताकि पूरे विश्वविद्यालय को पता चला की ये कितना बड़ा चोर है।

RGPV में हुए घोटालों की फेहरिस्त

एनएसयूआई ने 12 योजनाओं के नाम बताएं हैं जिनमें विवि के कुलपति ने करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार को अंजाम दिया है।

01. छात्रावासों में भोजन व्यवस्था में घपला।
02. पुस्तकालय हेतु फर्नीचर खरीदी घोटाला।
03. स्मार्ट क्लास रूम घोटाला।
04. डेस्कटॉप-कम्प्यूटर खरीदी घोटाला।
05.आई. यू. एम. एस. घोटाला।
06. ऑन लाईन परीक्षा घोटाला।
07. निजी महाविद्यालयों को संबंद्धता जारी करने में किये गये भ्रष्टाचार।
08. “टेण्डर और पब्लिक नोटिस के बगैर ने 3 निजी बैंकों में की गई 256 करोड़ की एफ.डी में घोटाला, 1 के बजाय 2 साल के लिए जमा किया गया फण्ड
09. GeM (Government E- Marketplace) पोर्टल पर खरीदी में भ्रष्टाचार बावत
10. नवीन के. आर. एस. भवन संचालित करने में अनिमित्ताएं।
11. सुरक्षा एवं हाऊस कीपिंग कार्यों में गम्भीर अनियमितता।
12. विश्वविद्यालय के बायो टेक्नालॉजी विभाग हेतु एक करोड़ की फर्नीशिंग कार्य में घोटाला।

रवि परमार ने घोटालों की सूची के साथ विस्तृत जानकारी देते हुए राज्यपाल से कहा कि महोदय मध्यप्रदेश के एक मात्र तकनीकी विश्वविद्यालय में उपरोक्त बिन्दुओं पर विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कुलसचिव द्वारा किये गये हैं। भ्रष्टाचारों की निष्पक्ष जांच हेतु अन्य पदस्थ करते हुए एक उच्च स्तरीय जाँच कमेटी गठित करें और नियम अनुसार कार्रवाई करें, जिससे विश्वविद्यालय की छवि को धूमिल होने से बचाया जा सके और छात्र-छात्राएं अपने भविष्य को सुरक्षित महसूस कर सकें। परमार ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर दोषी अधिकारियों पर जल्द से जल्द जांच कर कार्यवाही नहीं की गई तो एनएसयूआई उग्र प्रदर्शन के लिए बाध्य होंगी।

इस मौके पर राजवीर सिंह सिद्धार्थ आचार्य डॉ. राम बाबू नागर ईश्वर चौहान रूपेश विश्वकर्मा जीतेंद्र विश्वकर्मा विराज यादव दिनेश दांगी ऋतिक शर्मा केतन अवश्य अयांश गुप्ता धीरज विक्रम आमलबे ऋषि सिंह नरेंद्र सेन वीरेंद्र चौधरी पवन पवार पवन डांगी नितेश सेन विरम पवार रामेश्वर चौहान आदि सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित थे।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading