भैरू सिंह राजपुरोहित, बीकानेर (राजस्थान), NIT; छोटी काशी और साहित्य नगरी के नाम से विख्यात मरू प्रदेश के बीकानेर नगर के युवाओं ने पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या पर दुःख प्रकट करते हुए उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किये। युवा नीरज गहलोत, सुमित कोचर के संग युवाओं ने इस घटना पर दुःख और रोष प्रकट करते कहा की यह सिर्फ एक पत्रकार की हत्या नहीं पूरे देश की अभिव्यक्त की आज़ादी की हत्या है।
नीरज गहलोत अपने विचार इस तरह अपनी फेस बुक वाल पर लिखते हैं
सिर्फ दो घण्टे के नोटिस पर हम दस लोग एकत्रित हो गए। लोग बोलेंगे की आप लोग राजनीति कर रहे हो या फिर बोलेंगे की तब कहाँ थे जब फलाना घटना हुई , तब क्यों नही बोले ,अब क्यों बोल रहे हो।
ये सवाल पूछने वाले लोग दक्षिणपंथी विचारधारा के समर्थक है जो हमारी देश की प्रजातांत्रिक विचारधारा को खत्म कर देना चाहते हैं। हमारे सवाल पूछने की क्षमता को खत्म कर देना चाहते है और यही दक्षिणपंथी विचारधारा के लोग सबसे ज़्यादा खुश हैं पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या पर और इन दक्षिणपंथियों का खुशी खुशी ये भी कहना है कि इनकी हत्या के पीछे वामपंथी अर्थात वामपंथी भी हो सकते हैं। चलो मान लिया कि गौरी लंकेश के पीछे वामपंथी थे, पर इस हत्या पर भक्तों और गोदी मीडिया में जो खुशी की लहर है उससे यह साफ ज़ाहिर हो जाता कि दक्षिणपंथी धड़ा कितनी बेसब्री से इंतज़ार करता है किसी उदारवादी या सत्ताविरोधी बुद्धिजीवियों की हत्या का समाचार सुनने की। इनकी बेसब्री सोशल मीडिया पर झलकती है इनकी भाषा में।
इसलिए एक और बात निष्कर्ष के तौर पर निकल कर आती है कि एक चरमपंथी विचारधारा दूसरे चरमपंथी विचारधारा के हरकत करने का बेसब्री से इंतेज़ार करती है ताकि उदारवादियों और बुद्धिजीवियों पर राजनैतिक हमला बोला जा सके और प्रजातन्त्र को फासीवाद का रूप दिया जा सके। अघोषित आपातकाल के चरित्र का ये एक प्रमुख गुण है।
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