फैज़ान खान, नई दिल्ली, NIT:
बीजेपी के मंत्रियों, नेताओं और प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार बिबेक देबरॉय द्वारा लगातार नए संविधान की मांग की जा रही है। बीजेपी के एक मंत्री अनंत कुमार हेगड़े भी बोल चुके हैं कि हम देश की सत्ता में संविधान बदलने आए हैं। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाए गए संसद के विशेष सत्र के दौरान सरकार द्वारा सांसदों को संविधान की प्रतियां बांटी गई। उन प्रतियों में संविधान की प्रस्तावना में से समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों को हटा दिया गया। बिना संशोधन के प्रस्तावना का बदला जाना बहुत बड़ा चिंता का विषय है। कयास लगाए जा रहे हैं कि 2024 के आम लोकसभा चुनावों में बीजेपी ईवीएम मशीनों में धांधली करके और उनका दुरुपयोग करके सत्ता पर कब्जा करेगी और लोकतंत्र को समाप्त कर दिया जाएगा। माना जा रहा है कि 2024 चुनावों के बाद मोदी सरकार मनुस्मृति आधारित नया संविधान लाने जा रही है। जिसमें अनुसूचित जातियों/ जनजातियों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गों, अति पिछड़े वर्गों, दलितों, महादलितों, अल्पसंख्यक वर्गों, महिलाओं आदि के विशेष अधिकार समाप्त कर दिए जाएंगे।
भीम सेना चीफ नवाब सतपाल तंवर ने मोदी सरकार के खिलाफ बड़ा मोर्चा खोल दिया है। तंवर आने वाली 1 अक्तूबर रविवार को सुबह 9 बजे राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर अनशन करेंगे। यह मोदी सरकार के खिलाफ बड़ा विरोध-प्रदर्शन किया जाएगा। तंवर ने देश भर के दलित समाज का आहवान करते हुए संविधान बचाओ आंदोलन में आने की अपील की है। अनुमान लगाया जा रहा है कि बहुजन समाज के लोग देश के कोने-कोने से दिल्ली पहुंच रहे हैं। ट्रेनों, बसों, व्यक्तिगत गाडियां, मेट्रो आदि से हजारों युवा जंतर-मंतर की धरती को नीला करने आ रहे हैं। यह मोदी सरकार के लिए खतरे की घंटी है और दलितों का बड़ा शक्ति प्रदर्शन है। भीम सेना प्रमुख नवाब सतपाल तंवर सरकार से मांग कर रहे हैं कि संविधान की सुरक्षा के लिए संविधान सुरक्षा बिल संसद में पास किया जाए और संविधान संरक्षण अधिनियम को कानून बनाया जाए। यह कानून इतना मजबूत है कि प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट, राष्ट्रपति तक इसके दायरे में आ सकते हैं। संविधान सुरक्षा बिल की ड्राफ्टिंग नवाब सतपाल तंवर ने स्वयं तैयार की है। भीम सेना के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष सतपाल तंवर संविधान विशेषज्ञ, राजनीतिक विशेषज्ञ और कानून विशेषज्ञ के तौर पर भी जाने जाते हैं।
रविवार 1 अक्तूबर को होने वाले इस संविधान बचाओ आंदोलन से मोदी सरकार की नींद उड़ी हुई है। वहीं इस आंदोलन को लेकर दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने अपने रूट में बदलाव किए हैं। सुरक्षा के लिहाज से जंतर-मंतर पर अर्धसैनिक बलों की 50 से ज्यादा कंपनियां तैनात की गई है। वहीं यह आंदोलन बहुजन समाज की ताकत को भी प्रदर्शित करेगा। यदि बहुजन समाज अपनी मजबूत ताकत दिखाने में कामयाब नहीं हो पाया तो नरेंद्र मोदी की सरकार के लिए संविधान को बदलने के रास्ते साफ हो जाएंगे। यदि बहुजन समाज अपनी ताकत को मजबूती से दिखाने और जंतर-मंतर की सड़क को भरने में कामयाब हो गया तो संविधान बदलने के मामले में मोदी सरकार बैकफुट पर आ सकती है। संविधान सुरक्षा बिल के संसद में आने से इसका सीधा फायदा देश की जनता, लोकतंत्र और संविधान को होगा। लेकिन केंद्र सरकार पूरी तरह से कमजोर हो जाएगी। यह बड़ी दिलचस्पी की बात है कि संविधान बचाओ आंदोलन और संविधान सुरक्षा बिल को अब तक किसी विपक्षी राजनीतिक दल ने अपना समर्थन नहीं दिया है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो बहन मायावती आदि इस पूरे अभियान पर चुप्पी साधे हुए हैं। लेकिन तंवर ने इस लड़ाई को अपने दम पर लड़ने का फैसला किया है। इस बिल में सुप्रीम कोर्ट और सभी राज्य सरकारों की भूमिका को सर्वोपरि रखा गया है। पूरे देश भर से संविधान सुरक्षा बिल लाने की मांग जोर पकड़ती जा रही है। सतपाल तंवर इस लड़ाई को लंबे समय के लिए लड़ने के मूड में नजर आ रहे हैं।
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