राकेश यादव, देवरी/सागर (मप्र), NIT:
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी की 115 वीं जयंती के अवसर पर विश्व हिंदी परिषद द्वारा 20-21 सितंबर 2023 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन सभागार में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन का आयोजन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के प्रतिनिधि गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र, मणिपुर की राज्यपाल अनसुइया उईके के मुख्य आतिथ्य तथा राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा, खाद्य उपभोक्ता मंत्रालय के सचिव शांतनु तथा परमार्थ निकेतन आश्रम ऋषिकेश के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती जी महाराज के विशिष्ट आतिथ्य में संपन्न हुआ।
सम्मेलन में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र ने अपने वक्तव्य में कहा कि हिंदी भाषा सहित अन्य स्थानीय भाषाओं के प्रचार प्रसार हेतु हम एक यूनिवर्सल भाषा ऐप बनाने जा रहे हैं जिसमें सभी भाषाओं का अनुवाद किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि हिंदी को विश्व की राष्ट्र भाषा बनाने हेतु अमेरिका के प्राथमिक विद्यालयों में हिंदी का अध्यापन शुरू करेंगे। कार्यक्रम के दौरान हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार हेतु लंदन की सिमी राठौर, निदरलैंड की पुष्पिता अवस्थी, आज तक के संपादक सुधीर चौधरी, कमलेश रघुवंशी दैनिक जागरण, अजय कुमार अमर उजाला, पूर्व सांसद उदय सिन्हा को राज्यपाल द्वारा दिनकर सम्मान से सम्मानित किया गया।
सम्मेलन के दूसरे दिवस के मुख्य अतिथि सिक्किम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य जी, केंद्रीय लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री तथा फिजी , सूरीनाम, मारीशस, त्रिनिनाद टोबेगो के हाई कमिश्नर तथा विशिष्ठ अतिथि ग्लोबल ओपन यूनिवर्सिटी नागालैंड के कुलाधिपति प्रो प्रियरंजन त्रिवेदी, प्रो अनिल राय दिल्ली वि वि, जम्मू कश्मीर की सचिव रश्मि सिंह , स्वामी सर्व लोकानंद सचिव रामकृष्ण मिशन दिल्ली, अमेरिका प्रवासी परमार्थ निकेतन आश्रम ऋषिकेश की साध्वी भगवती सरस्वती जी, आरएसएस के इंद्रेश कुमार रहे। विश्व हिंदी परिषद के महासचिव डॉ विपिन कुमार ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए विश्व हिंदी परिषद के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि हिंदी के प्रचार प्रसार हेतु परिषद द्वारा वर्ष में दो बार 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस तथा 14 सितंबर को हिंदी दिवस पर हिंदी की सेवा में तत्पर विद्वानों, साहित्यकारों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उनके योगदान की सराहना तथा उन्हें उचित मंच प्रदान करने के उद्देश्य से पुरस्कार समारोह का आयोजन किया जाता है, आज का यह कार्यक्रम उसी कड़ी का हिस्सा है। इस सत्र में चारों देशों के राजदूतों सहित मंचासीन अतिथियों द्वारा अपने उद्बबोधन में भारतीय संस्कृति एवम हिंदी भाषा की प्रशंसा की तथा उसके प्रचार प्रसार पर जोर दिया। इसी सत्र में देवरी नगर के समाजसेवी डॉ एस आर आठिया ने अपने संक्षिप्त वक्तव्य में कहा कि कहा कि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं उनका काव्य अपने दौर में हर वर्ग और शोषितों की आवाज बना जिससे एक स्वस्थ और जागरूक समाज का निर्माण हुआ। स्वतंत्रता पूर्व उन्हें विद्रोही कवि और स्वतंत्रता के पश्चात उन्हें राष्ट्रकवि का दर्जा मिला।
भारत सरकार द्वारा उन्हें द्वितीय सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया। साथ ही संस्कृति के चार अध्याय के लिए उन्हें साहित्य अकादमी तथा उर्वशी के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वह तीन बार राज्यसभा सदस्य तथा भारत सरकार के हिंदी सलाहकार रहे हैं। किंतु उन्हें वह सम्मान नहीं मिला जिसके वह वास्तविक हकदार थे। पूर्व सांसद शाहजहानाबाद अरुण कुमार प्रधानमंत्री अटलबिहारी बाजपैई जी के समय से संसद भवन में उनकी आदमकद मूर्ति तथा दिल्ली के एक मार्ग का नामकरण उनके नाम पर करने की मांग करते आ रहे हैं। उनकी इस मांग के साथ दिनकर जी को भारतरत्न तथा हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने हेतु एस आर आठिया द्वारा एक मुहिम चलाने की घोषणा की गई जिसका समर्थन सभागार में उपस्थित सभी अतिथियों द्वारा किया गया।
इस अवसर पर एक स्मारिका का विमोचन राज्यपाल तथा अतिथियों द्वारा किया गया। स्मारिका में देश विदेश के साहित्यकारों, विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों, विभागाध्यक्ष, प्रशासनिक अधिकारियों सहित समाजसेवियों के शोषपत्रो आलेखों का संकलन किया गया है। स्मारिका में मध्यप्रदेश से एस आर आठिया सागर तथा बड़वानी से शिक्षक विजय पाटिल के आलेख भी सम्मिलित किए गए हैं जो गर्व का विषय है। आलेख चयन के लिए राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य द्वारा एस आर आठिया को प्रमाण पत्र तथा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। जिसके लिए उन्होंने राज्यपाल तथा विश्व हिंदी परिषद के महासचिव डॉ विपिन कुमार, अध्यक्ष विनय भारद्वाज, डॉ श्रवण कुमार सहित सभी पधाधिकारियो के प्रति आभार व्यक्त किया है।
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