अशफाक कायमखानी, सीकर (राजस्थान), NIT;
किसानों की कर्ज माफी, पशूबिक्री रोक हटाने व स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने सहित किसान हित की अन्य अनेक मांगों को लेकर प्रदेश के हर जिला स्तर पर डाले गये अनिश्चकालीन महापड़ाव को आज तीसरा दिन पूरा होने को रहे हैं, लेकिन अभी तक न तो सरकार के कानों पर जू रेंग रही है और ना ही अभी तक किसी विरोधी दल के उन नेताओं की आत्माओं ने उनको झकझोरा है जो अपने आपको किसान नेता के नाम पर उभार चुके या उभार रहे हैं!आसमान में चमकती बिजली व बादलों की गड़गड़ाहट एवं कही-कहीं बरसती बरसात के मध्य राजस्थान का पीडित-असहाय व कर्ज में डुबा किसान जीवन जीने की उम्मीद लेकर अपनी मांगो की टोकरी के साथ खुले आसमान व छप्पर के नीचे बैठे होने के बावजूद सरकार व नेताओं का उनके प्रति इतनी उदासीनता तो शायद अंग्रेजों व सामंतों के राज में भी नहीं रही होगी।प्रदेश स्तरीय किसान आंदोलन के तहत अनिश्चित महापड़ाव डालने से लेकर अब तक उनके सीकर के पड़ाव को काफी नजदीक से देखने को मिल रहा है। पड़ाव डालने के पहले किसानों अपने स्तर पर कृषि उपजमंडी में जमा गंदगी, कचरा व घास हटाकर उस जगह को पड़ाव डालने के लायक बनाया फिर एक सितम्बर को किसान अपने अपने ट्रैक्टर-ट्राली में अपनी अपनी खाद्य सामग्री व जरुरत के हिसाब से वर्तन, बिस्तर व चूल्हा, सिलेण्डर आदि साथ लेकर आकर पड़ाव डालकर रोज सभा, गानों पर अपने हिसाब से मनोरजंन करते फटे-पुराने कपड़ों में 15- से 80-85 साल का किसान पड़ाव स्थल पर रात को सोता दिखाई देता है। मच्छरों की भिनभिनाने की आवाज व स्वाईन ,चिकनगुनिया जैसी बीमारी के प्रकोप प्रदेशभर में होने के बावजूद पड़ाव स्थल पर किसानों का जमीन बिछोना व आसमान ओढना मात्र है। इरादों व दिलों के मजबूत व समस्याओं को हमेशा हराने वाले एक अस्सी साला किसान से पड़ाव स्थल पर इन बीमारियों के खतरे के बारे में पूछा गया तो वो तपाक से बोला सरकार अपने एक स्वाइन फ्लू से ग्रस्त एक विधायक को चिकित्सा सुविधा नहीं दे पाई तो यह किसानों को क्या दे पायेगी। पर किसान ने कहा हम हमारी मांग मनवा कर ही यहां से उठेंगे।
सीकर में किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमराराम के नेतृत्व में जारी हजारों किसानों का महापड़ाव बडा रोचक रुप लेते हुये सरकार के लिये बडे खतरे की घंटी की तरह दिन ब दिन तेजी के साथ अलार्म देने लगा है। अगर सरकार ने इस तरफ सकारात्मक रुख अपनाकर शीघ्र कोई हल नहीं निकाला तो यह उसके गले की हड्डी साबित हो सकता है जो ना निगलते बनेगा ओर ना ही उगेलते बनेगा। दूसरी तरफ सीकर में कांग्रेस व भाजपा में अनेक दिग्गज नेताओ की भरमार के बावजूद उनके हलक से किसानो के लिये एक शब्द भी नही निकल पा रहा है। यह उनकी मजबूरी है या सियासत इसकी असलियत तो वो स्वयं जाने लेकिन किसान तो यह सब देख भी रहा है तो आंकलन भी कर रहा है। जो केवल मतदान वाले दिन अपना हिसाब चुकता करता नजर आता है। सीकर किसान पड़ाव स्थल पर दिन में किसान अपने लिये भोजन बनाते हैं, तो अक्सर शहर में प्रदर्शन, घेराव व रैली भी अलग-अलग रोज आयोजीत कर रहे हैं। पीपी व ढोल बजाकर किसान अधिकारीयों की नींद खराब कर रहे हैं, वहीं इन आवाजों की खनक जयपुर तक पहुंचा रहे हैं। मुख्यमंत्री की शव यात्रा निकालकर अपनी मांग रख रहे हैं। रोज कोई ना कोई नया व रोचक रुप किसान दिखाकर सरकार को चेता रहे हैं। पड़ाव स्थल पूरी तरह एक गावं का रुप धारण कर चुका है। तीन दिन नगर परीषद अमला कुछ सफाई करने आया जरुर लेकिन खाना पूर्ति के अलावा कुछ हो नहीं पाया।
कुल मिलाकर यह है कि किसानों का सीकर में जारी पड़ाव में रोजाना तादात में होता भारी इजाफा से लगता है कि यह पड़ाव अगर जरा लम्बा चला तो कुछ दिनों बाद यह पड़ाव विस्तृत रुप धारण कर जयपुर के 2005 के पड़ाव से भी विकराल रुप ले सकता है। सरकार को समय रहते फैसला कर लेने पर विचार करना होगा।
राजस्थान में पड़ाव डाले किसानों को अब हर तरफ से मिलने लगा है जनसमर्थन
राजस्थान में सभी जिला स्तर पर कर्जमाफी व स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने सहित अनेक मांगो को लेकर बडे ही अनुशाषीत व रोचकपुर्ण तरिके से सरकार व उनके नुमाइंदे ब्यूरोक्रेटस को छकाते हुये शांतीपुर्ण अनिश्चतकालीन महापड़ाव को अब बडी तादात में किसानों के अलावा अनेक व्यापारिक व समाजी संगठनों का जन समर्थन मिलने से पड़ाव स्थल पर भारी भीड़ जुटने से दिखने लगा कि अगले कुछ दिनों में केवल किसानों का पड़ाव ना होकर राजस्थान की जनता का पड़ाव बनकर प्रदेश का अब तक का एक बडा जन आंदोलन भी बनकर उभर सकता है।
राजस्थान में इश्यूबेस पॉलिटिक्स करने के कुछेक माहिरीन में से एक माकपा राज्य सचिव कामरेड अमराराम ने इस अनिश्चितकालीन किसान महापड़ाव की डेट व मुद्दा बडे ही सोच समझकर तय किया होगा कि इस समय किसानों के पास आसानी से बीस-पच्चीस दिन का उपयुक्त समय मौजूद है। वहीं सरकारी उपेक्षा के कारण किसानों के दिलों में हुये गहरे व हरे घाव पर इस समय मरहम लगा कर उन्हें जरा राहत दिलवाने का भी सियासी समय व जारी उठापटक के अनुसार मौजूदा समय एक दम पड़ाव के लिये अनुकूल माना जा रहा है। यानि चारों तरफ से लोहा गरम है और अब जरुरत केवल ठीक से उस पर चोट मारने की है।
राजस्थान भर में अनुशाषीत व जनभावना अनुसार चल रहे अनिश्चतकालीन किसान महापड़ाव में हर तरफ से हर जगह कोई ना कोई जुड़कर उन मांगों को धरातल पर लाकर उनको मनाने के लिये सरकार पर दवाब बनाने के खातिर किसान सभा के नेताओं के साथ कंधा से कंधा मिलाकर संघर्ष की राह आम आदमी पकड़ता नजर आ रहा है। प्रदेश के चूरु जिला मुख्यालय पर चल रहे किसान महापड़ाव में किसानों को एक समय का भोजन गुरुद्वारा समिति के देने का ऐहलान किया है। सभी जिला मुख्यालय पर एक सितम्बर से चल रहे पड़ाव के समर्थन में रोज कोई ना कोई अन्य संगठन किसानों को समर्थन व सहयोग देने की कड़ी में आज सीकर में चल रहे किसान पड़ाव स्थल कृषि उपजमंडी में व्यापारियों के अलग अलग संगठन पहुंच कर लिखित में समर्थन व सहयोग करने का ऐहलान करके जनभावना को प्रदर्षित किया है। सीकर जिले के खाद्य व्यापार संघ एवं सीकर व्यापार महासंघ के प्रतिनिधी बडी तादात में पड़ाव स्थल पर किसानों को सम्बोधित करके उनके आंदोलन को अपना आंदोलन बताते हुये पूरा समर्थन जताया।
कुल मिलाकर यह है कि सरकार के नोटबंदी-जीएसटी लागू करने के साथ साथ हर स्तर पर हर वस्तू की बडती किमते, किसान, व्यापारी व सरकार के जनविरोधी नीति अपनाने के चलते जनता में चारों तरफ त्राही त्राही मची हुई है। छोटे व्यापारी व किसान द्वारा अपने धंधे को बचाने के लाख जतन करने के बावजूद वो अब बर्बाद होने के हालात को समय रहते भांप कर पड़ाव को गति व किसानों को सम्बल देने की जूस्तजू करने में लगा है। उनको जरुरत है एक ऐसे योद्दा, मजबूत व संघर्षी भरोषेमंद लीडर की जो उनके हक की लड़ाई बीना किसी लोभ व दवाब मे आये लड़ सके। वो सभी लोग इस तरह के सभी गुणों की खान पुर्व विधायक अमराराम मे देखते रहे हैं। इसलिये वो सभी मिलकर अमराराम के नेतृत्व में अब लम्बी लड़ाई लड़कर सरकार को झुकाना चाहते है।
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