नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
मार्च 2021 कोरोना की पहली लहर में ऑक्सीजन की कमी को पाटने के लिए राज्य सरकार ने हर ज़िले में 50 या उससे अधिक बेड की क्षमता वाले सरकारी अस्पतालों में वातावरण में मौजूद सामान्य हवा से ऑक्सीजन बनाने वाले ऑक्सीजन अवशोषित प्रणाली (PSA) के प्लांट खड़े किया। आज वो तमाम PSA उपयोग ना होने के कारण बंद पड़े है। उनके कार्यान्वित होने पर बिजली की जो खपत हुई थी उसके करोड़ों रूपयों के बिल सार्वजनिक आरोग्य विभाग की ओर बकाया है। भाजपा नेता गिरीश महाजन के गृह नगर जामनेर के उपजिला अस्पताल मे बिजली बोर्ड की टीम ने दस्तक दी। अस्पताल के प्रमुख डॉ विनय सोनवाने ने NIT को बताया कि फंड के अभाव से बिजली बोर्ड का बिल बकाया है, यह बिल तब का है जब PSA प्लांट शुरू थे।
कोविड के समय की प्रशासनिक खबरें खंगालने के बाद पता चलता है कि तत्कालीन सरकार ने राज्य को ऑक्सीजन निर्माण में सक्षम बनाने के लिए महाराष्ट्र मिशन स्वावलंबन योजना शुरू की थी जिसके तहत कुछ ज़िलों में ऑक्सीजन प्लांट्स को 2 रु प्रति यूनिट से पांच साल तक बिजली देने का निर्णय लिया गया था। इस योजना के तहत कितना बकाया है इसकी कोई आधिकारिक जानकारी हमारे पास उपलब्ध नहीं है। PSAs पर हजारों करोड़ रुपए खर्च किए गए उसका रिजल्ट भी बेहतर रहा। हमने इन PSAs के राज्यव्यापी बिजली बकाए कि समीक्षा की तो मालूम पड़ा कि क़रीब 600 करोड़ के बिजली बिलों का सरकारी भुगतान लंबित है हो सकता है कि यह रकम ज्यादा भी हो। “शासन आपल्या दारी” इस अभियान के माध्यम से असंवैधानिक सरकार मे शामिल नेताओं के प्रचार में व्यस्त प्रशासन को अपने महकमों के भीतर की इन आर्थिक अव्यवस्थाओं की सुद लेनी चाहिए। सूखे की मार झेल रहे महाराष्ट्र में बिजली कटौती आरंभ हो चुकी है, वित्तीय गड़बड़ियों और नेताओं के आसुरी सत्ता सुख पर होने वाली फिजूलखर्ची का ख़ामियाजा जनता को अपनी जेब से अनगिनत टैक्स देकर चुकाना पड़ रहा है।
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