विवेक जैन, बागपत (यूपी), NIT:
शहर की स्वर्णकार धर्मशाला में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में प्रसिद्ध कथा व्यास ओम 108 श्री मद् भक्ति वेदान्त श्री श्रीधर गोस्वामी महाराज द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया गया। कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लेने के बाद सबसे राक्षसी पूतना का उद्धार किया। पूतना पिछले जन्म में राजा बलि की पुत्री थी। वामन अवतार में जब राजा बलि को भगवान श्री विष्णु के वामन अवतार की शरण में आना पड़ा उस समय पूतना को अत्यधिक क्रोध आया और उसके मन में विचार आया कि अगर ऐसा मेरा पुत्र होता तो में इसे अपने दूग्ध में विष दे देती। वामन भगवान ने पूतना के भाव जान लिये और तथास्तु कहा। राजा बलि की पुत्री ने द्वापर युग में पूतना के रूप में जन्म लिया। पूतना ने अपने दुग्ध में भगवान श्री कृष्ण को जहर देकर मारने का प्रयास किया और भगवान श्री कृष्ण ने उसके प्राण हर लिये और इस प्रकार पूतना भगवान के हाथों मोक्ष पाकर जन्म-मरण के बंधनों से मुक्त हो गयी।
कथा में राधा जन्मोत्सव की कथा का वर्णन किया गया। कथा में भगवान का वेश धारण कर छोटे-छोटे बच्चों ने हर किसी का ध्यान अपनी और आकर्षित किया। कथा के अन्त में श्रद्धालुओं को टॉफी, फल, आदि विभिन्न प्रकार के प्रसाद का वितरण किया गया। भागवत कथा के उपरान्त भंडारा लगाने का सौभाग्य लाला सत्यप्रकाश गुप्ता को प्राप्त हुआ, जिसमें सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। इस अवसर पर समाजसेवी प्रकाश चौधरी, समाजसेवी ललित माधव दास गोपाल, समाजसेवी अमित चंदौरिया, समाजसेवी विवेक गोयल, नेशनल अवार्डी व उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार विपुल जैन, ललित शर्मा, अर्पित गोयल, हेमंत, नरेश गुप्ता, सीताराम गुप्ता, गोपाल वर्मा, अमित शर्मा, श्री चौहान, अजय चौहान, विशाल गुप्ता, मोनू वर्मा, कृष्णपाल, रमेश वर्मा, राहुल कुमार, छोटू गौरव, मन्नू शर्मा, आकाश, दीपक सहित सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित थे।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts sent to your email.