वी.के. त्रिवेदी, ब्यूरो चीफ, लखीमपुर खीरी (यूपी), NIT:
पलिया में कबाड़ में बेची जा रही किताबों के मामले में पत्रकार पर दर्ज एफआईआर के चलते ज़िले के पत्रकारों में आक्रोश फैल गया है और पत्रकारों ने जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक खीरी से मिलकर मामले की निष्पक्ष जांच करवाने और पत्रकार पर दर्ज एफआईआर को निरस्त कराने की मांग की गई, वहीं पुलिस अधीक्षक खीरी ने निष्पक्ष जांच करवाने का आश्वासन दिया है।
पत्रकारों ने इसके बाद बीएसए ऑफिस का घेराव किया। ज़िले के पलिया में बीते दिन एक कबाड़ भरे ट्रक में बच्चों को पढ़ाई के लिए निःशुल्क दी जाने वाली किताबों के कई बंडल एक पत्रकार द्वारा देखे गए थे जिसका पत्रकार द्वारा वीडियो बनाया गया था इस मामले पर जब पत्रकार सुशील शुक्ला ने बीईओ नागेंद्र चौधरी से इस मामले पर बात करनी चाही तो पत्रकार शिशिर शुक्ला ने कबाड़ में बेची जा रहीं किताबों का वीडियो बी ई ओ नागेंद्र चौधरी के मोबाइल पर सेंड कर दिया इसके बाद नागेंद्र चौधरी ने पत्रकार शुक्ला के मोबाइल नंबर को आधार बनाकर एफआईआर दर्ज करा दी एफआईआर दर्ज होने के बाद लखीमपुर खीरी जिले के पत्रकारों में आक्रोश है और जनपद लखीमपुर के पत्रकार एकत्र होकर सबसे पहले डीएम कार्यालय पहुंचे और उसके बाद एसपी कार्यालय पहुंचे और एसपी से निष्पक्ष जांच कराने की मांग की जिस पर पुलिस अधीक्षक ने पत्रकारों को निष्पक्ष जांच करवाने का आश्वासन दिया है।
वहीं पत्रकार बीएसए कार्यालय पहुंचे और बीएसए कार्यालय का पत्रकारों ने घेराव किया, बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी अपने कार्यालय में मौजूद नहीं मिले वहीं बीएसए कार्यालय पहुंचे पत्रकारों में खासा आक्रोश देखा गया। घेराव करने वाले पत्रकारों में वरिष्ठ पत्रकार नंदकुमार मिश्रा वरिष्ठ पत्रकार श्याम जी अग्निहोत्री मयंक बाजपाई धर्मेश शुक्ला प्रतीक श्रीवास्तव गोपाल गिरी शादाब राजा शिवम बाजपेई मनोज शर्मा मोहम्मद फैसल अभिषेक वर्मा दिनेश मोहम्मद सलीम ऋषभ त्यागी शारिक खान आदि तमाम पत्रकार बंधु साथ रहे।
मोहम्मदी खीरी। पलिया खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा भ्रष्टाचार की एक खबर चलाऐ जाने पर एक पत्रकार पर फर्जी मुकदमा लिखाए जाने पर युवा प्रेस क्लब के सभी पदाधिकारी सदस्यों ने घोर निंदा की है तथा कहा है भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए यह कृत्य किया गया है शीघ्र युवा प्रेस क्लब मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर ऐसे अधिकारियों के विरुद्ध मोर्चा खोलेगा यदि पत्रकार पर दर्ज एफआईआर निरस्त नहीं की जाती है और मुकदमा वापस नहीं लिया जाता है तो प्रदेश भर के पत्रकार धरना प्रदर्शन के लिए बाध्य होंगे जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी प्रशासन और शासन की होगी ।
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