रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:
मप्र में दो नए ज़िले मऊगंज और नागदा बनने जा रहा है,
लेकिन नागदा ज़िला बनने में जिन तहसीलों को जोड़कर ज़िला बनना है वहां से आपत्ति विपत्ति ज़ोर पकड़ने लगी है। उधर दस साल पहले शाजापुर से अलग होकर बना आगर-मालवा और पांच साल पहले बना निवाड़ी ज़िले में ज़िलों की ज़रूरत के हिसाब से इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं बन पाया है।
नतीजा यह है कि अब भी लोगों को पुराने जिलों पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
दस साल पहले बने आगर-मालवा में नया कलेक्टर भवन बन चुका है, लेकिन ज़िला कोर्ट भवन नई बिल्डिंग में शिफ्ट नहीं हुआ है।
अभी-अभी ज़िले की ट्रेज़री और ज़िला अस्पताल बना है, लेकिन इनमें सुविधाएं विकसित नहीं हुई है।
वहीं पांच साल पहले बने निवाड़ी ज़िले में अब तक निर्माणाधीन है।
यहां ज़िला कोर्ट शुरू हो गया है और ट्रेजरी दफ़्तर बन गए हैं।
इन ज़िलों में कर्मचारियों की पूर्ति के लिए कैबिनेट से मंजूरी लेना पड़ रहा है।
हाल ही में गत 4 मार्च को रीवा से अलग कर मऊगंज बनाए जाने की घोषणा की गई है, जिसमें मऊगंज और देवतलाब दो विधानसभाएं आएंगी। देवतालाब से विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम विधायक हैं।
बीती 20 जुलाई को नागदा ज़िला बनाने की घोषणा हुई है, इस ज़िले में नागदा, खाचरौद, आलोट, ताल तहसीलें आएंगी। लेकिन ये नागदा की बदनशीबी ही है कि 3 बार घोषणा होने के बाद भी अभी तक ज़िला नहीं बन पाया है उसका कारण ये रहा कि जब भी घोषणा होती है खाचरोद, ताल, आलोट की तरफ से नागदा ज़िले में शामिल होने से साफ़ इंकार किया जाता रहा है और अभी भी इन शहरों में आंदोलन जारी है ।
इधर, जावरा,बीना और सिरोंज को जिला बनाने की मांग
रतलाम ज़िले के जावरा को ज़िला बनाने की मांग उठने लगी है विधायक डॉ. राजेंद्र पांडेय ने 3 मार्च 2023 को विधानसभा सचिवालय में जावरा ज़िला बनाने का पुनः मांग-पत्र दिया था।
इसी हवाले से 4 अगस्त 2023 को मप्र शासन राजस्व आयुक्त ने ज़िला प्रशासन से जावरा को ज़िला बनाने संबंधी कार्यवाहीं को मंगवाया। एसडीएम अनिल भाना व अधीक्षक भू-अभिलेख अखिलेश मालवीय ने बताया कि शासन ने जो जानकारी मांगी, वह चार दिन पहले भेज दी है।
इसमें ताल, आलोट, पिपलौदा को मिलाकर जावरा को नया ज़िला बनाने का प्रस्ताव है।
अब निर्णय शासन स्तर से होना है। विदिशा ज़िले की सिरोंज तहसील को ज़िला बनाने की मांग लंबे समय से चली आ रही है, लेकिन यहां राजनीतिक उठा पटक इस कदर है कि यहां ज़िला नहीं बन पाया है।
सिरोंज को ज़िला बनाए जाने के लिए धरना चल रहा है।
सागर ज़िले में बीना तहसील को ज़िला बनाने की मांग चल रही है।
सतना ज़िले की मैहर तहसील को ज़िला बनाने की मांग स्थानीय विधायक नारायण त्रिपाठी उठाते रहे हैं।
छिंदवाड़ा ज़िले में पार्टुना और गुना ज़िले से अलग चाचौड़ा ज़िला बनाने की मांग कांग्रेस के विधायक लक्ष्मण सिंह कर रहे हैं।
पिछले 2008, 2013 में इन जिलों को बनाने की मांग उठती रही है।
ऐसी राजनीतिक परंपरा है… चुनाव से पहले बनते रहे हैं ज़िले
1998 में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में 16 नए ज़िले बनाए गए, लेकिन इनमें से 2000 में अलग होकर बने छत्तीसगढ़ राज्य में 9 ज़िले चले गए।
मप्र में बचे 7 जिलों में बड़वानी, श्योपुर, कटनी, डिंडोरी, उमरिया, नीमच और हरदा मप्र में है।
2003 में चुनाव से पहले 3 नए ज़िले बने अशोकनगर, बुरहानपुर और अनूपपुर ये तीनों ज़िले तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बने।
भाजपा सरकार के कार्यकाल में 2008 में अलीराजपुर और सिंगरौली दो नए ज़िले बने हैं। इसके बाद 2013 में आगर- मालवा और निवाड़ी ज़िला बनाया गया।
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