PWD का बकाया सात हज़ार करोड़ रुपये चुकाने में राज्य सरकार हो रही है नाकाम, अकेले जलगांव पीडब्ल्यूडी का 350 करोड़ रुपये है बाकी | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

PWD का बकाया सात हज़ार करोड़ रुपये चुकाने में राज्य सरकार हो रही है नाकाम, अकेले जलगांव पीडब्ल्यूडी का 350 करोड़ रुपये है बाकी | New India Times

सुप्रीम कोर्ट द्वारा गैरकानूनी करार दी जा चुकी राज्य की शिंदे – फडणवीस सरकार को बरखास्त करने के बजाय गवर्नर की शक्तियों के सहारे चलाया जा रहा है। बीते एक साल में इस सरकार के दो विधानसभा सत्र हो चुके हैं जिसमें विपक्ष ने वित्तीय गड़बड़िया और कई योजनाओं में भ्रष्टाचार से जुड़े मुद्दों पर सदन मे बहस की। साढ़े पांच लाख करोड़ के बजट वाले महाराष्ट्र की वित्तीय हानी 50 हजार करोड़ तक पहुंच चुकी है। डेढ़ लाख करोड़ रूपए फंड की अतिरिक्त पूर्तिया लंबित है उसमें सात हज़ार करोड़ रूपए अकेले लोकनिर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को देने शेष है।

उत्तर महाराष्ट्र में जलगांव पीडब्ल्यूडी का 350 करोड़ रुपए के बकाया भुगतान की यथास्थिति बरकरार है। पुराना वैसे का वैसा है सैकड़ों करोड़ के नए प्रस्तावों को एक फूटी कौड़ी का नया फंड नहीं है। ठेकेदारों ने हड़ताले की दर्जनों मंत्रियों से गुहार लगाई, डेलिगेशन टीम सेंट्रल व्हिस्ता के बहाने केंद्रीय नेताओं से मिलकर भी आई। NIT ने इस मसले पर दो रिपोर्ट प्रकाशित की थी। फंड रिलीज़ कराने के बजाय मोदी सरकार ने NDA के नए पार्टनर बने अजीत पवार को राज्य के तिज़ोरी की चाभियां थमाकर वित्त एवम् उप-मुख्यमंत्री बना दिया। पवार के कोटे से अनिल पाटील के रूप में जलगांव को तीसरा मंत्री दे दिया। सूत्रों के मुताबिक पता चल रहा है कि बकाया मामले में कमीशन का झोल काफ़ी बड़ा है जिसे अमूमन 30 टका आंक सकते है। यही तीस टका आने वाले चुनाव में भाजपा के लिए कर्नाटक, मध्य प्रदेश की तरह महाराष्ट्र में परेशानी पैदा करेगा। विकास की राह में अडंगा बना कमीशन का छद्म मुद्दा जनता और भाजपा के दरमियान प्रेम की कैंची बनेगा। विपक्ष में रहते विकास विकास का सिमरन कर सड़कों पर आंदोलन कर चिल्लानें वाले मंत्री जबरन सत्ता मे आने के बाद से इस विषय पर आज तक चुप हैं।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading