रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, झाबुआ/भोपाल (मप्र), NIT:
एक ऐसा बागी, जो गांव के मंदिर की 100 बीघा जमीन के लिए डाकू बन गया। वह चंबल का पहला डकैत था, जिसके पास ऑटोमैटिक अमेरिकन राइफल थी।
उसका ऐसा खौफ था कि कोई डाकू हैं वे सामाजिक तौर पर पूरे प्रदेश में खंगार समाज के संगठन की राजनीति करते रहे हैं। शिवपुरी, भिंड, दतिया और बुंदेलखंड क्षेत्र की लगभग 40 सीटों पर खंगार समाज का अच्छा वोट बैंक है। वे दावा करते हैं कि पिछले विधानसभा चुनाव तक खंगारों का 99 प्रतिशत वोट बीजेपी को मिला था।
मलखान सिंह के चलते ये अब कांग्रेस को मिलेगा।
इसके अलावा मलखान सिंह जब चंबल में थे तो, उनकी छवि रॉबिनहुड की थी, जो आज भी बरकरार है।
इसी के चलते भोपाल, ग्वालियर, मुरैना आदि क्षेत्रों में भी उनसे जुड़े लोगों की काफी संख्या है, जो कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित होगा। दूसरा मलखान सिंह एक बड़ा नाम है, इससे कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनेगा।
एक पत्रकार की मध्यस्थता से समर्पण की राह निकली
1982 में भिंड के तत्कालीन एस पी राजेंद्र चतुर्वेदी थे, जो बाद में एमपी से डीजीपी बने थे। तब एमपी के सीएम अर्जुन सिंह और केंद्र में इंदिरा गांधी पीएम थीं। एसपी राजेंद्र चतुर्वेदी की पत्नी बंगाली थीं। उनकी दोस्ती पत्रकार कल्याण मुखर्जी की पत्नी से थी। कल्याण मुखर्जी मलखान सिंह का इंटरव्यू कर चुके थे। एसपी राजेंद्र चतुर्वेदी ने पत्नी की दोस्ती के माध्यम से कल्याण से बात कर मलखान सिंह के समर्पण की रूपरेखा तय की। बातचीत की मध्यस्थता कल्याण मुखर्जी ने ही की मलखान सिंह की ओर से शर्त रखी गई कि मेरा और हमारे साथियों के सारे गुनाह माफ कर दिए जाएंगे और फांसी की सजा नहीं होगी। इसके अलावा मंदिर की जिस 100 एकड़ जमीन के विवाद से वो बीहड़ में उतरे थे, वो वापस मंदिर के नाम पर दर्ज हो। एसपी चतुर्वेदी ने मलखान की शर्त सीएम अर्जुन सिंह तक और सीएम ने पीएम इंदिरा गांधी तक बात पहुंचाई।
इंदिरा गांधी की हरी झंडी मिलने के बाद 15 जून 1982 समर्पण की तारीख तय हुई। खुद अर्जुन सिंह भिंड के एसएएफ मैदान पहुंचे। ये पहला सार्वजनिक सरेंडर था। तब मलखान को देखने आसपास की 30 हजार से अधिक भीड़ पहुंची थी। इस सरेंडर के प्रत्यक्षदर्शी रहे वरिष्ठ पत्रकार देवश्री माली बताते हैं कि मलखान सिंह अपने अत्याधुनिक हथियारों के साथ जब सरेंडर को पहुंचा तो लोग देखते रह गए। मलखान 6 साल जेल में रहे। इसके बाद साल 1989 में सभी मामलों में बरी करके उन्हें रिहा कर दिया गया।
पत्नी निर्विरोध सरपंच चुनी गईं, पिंक पंचायत का मिला दर्जा
मलखान सिंह ने 2022 के पंचायत चुनाव में पत्नी ललिता सिंह को गुना जिले की आरोन तहसील अंतर्गत आने वाले सुनगयाई ग्राम पंचायत से चुनाव लड़ाने के लिए पर्चा भरवा दिया। इसके बाद गांव की पंचायत बैठी। तय हुआ कि ललिता सिंह सहित सभी 12 पंच के पदों पर महिलाओं को निर्विरोध चुन लिया जाए। इससे शासन से इनाम के तौर पर 15 लाख रुपए भी मिल जाएंगे, जो गांव के विकास में खर्च हो सकेगा।
इसके बाद गांव वालों ने ललिता सिंह को निर्विरोध सरपंच चुन लिया। अब वे कांग्रेस में शामिल हो गए। पार्टी में शामिल होने पर कहा कि मेरी लड़ाई हमेशा से अन्याय और अत्याचार के खिलाफ रही है। बीजेपी के अत्याचारों से आम लोग दुखी हैं। इससे निजात कांग्रेस ही दिला सकती है। यही कारण है कि मैं कांग्रेस में शामिल हुआ। मलखान सिंह कहते हैं, ” अन्याय नहीं होने देंगे, यही मेरा मिशन है।”
मैंने अब कमलनाथ को सीएम बनाने का लक्ष्य रखा है। अन्याय और अत्याचार का खात्मा करने के लिए बीड़ा चबाया (कसम खाना) था। अब भाजपा के कुशासन के खिलाफ लडूंगा।
मलखान सिंह अब कांग्रेस नेता
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