नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
मणिपुर में जारी हिंसा के लिए जिम्मेदार नरेन्द्र मोदी सरकार के विरोध की आग देश के कोने कोने में फैल और धधक रही है। ‘एक तीर एक कमान आदिवासी एक समान, नीम का पत्ता कड़वा है मोदी सरकार …. है, बंद करो बंद करो महिलाओं पर अत्याचार बंद करो‘ जैसे नारों से जलगांव की सड़के गूंज उठीं। आदिवासी एकता परिषद की ओर से आयोजित मोर्चा में जिले के सभी ब्लॉक से महिलाएं हजारों की संख्या में मौजूद रहीं। कलेक्ट्रेट पहुंचे आंदोलकारियों ने प्रशासन को मांग पत्र सौंपा। लोकसंघर्ष मोर्चा समेत कई संगठनो ने इस विरोध मार्च को समर्थन दिया।
विदित हो कि मणिपुर में नस्लीय हिंसा भड़के तीन महीने बीत चुके हैं। मैतई समुदाय की ओर से कुकी आदिवासियों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। उपद्रवियों द्वारा पुलिस शस्त्रागार से साढ़े चार हजार आधुनिक हथियार और करीब छह लाख गोलियां लूटी गई हैं जिसमें 90 फीसद मैतई ग्रुप के कब्जे में हैं। आरोप लगाया जा रहा है कि केंद्र की मोदी सरकार की शह पर मणिपुर की बिरेन सिंग सरकार ने राज्य को गृहयुद्ध में झोंक दिया है। आदिवासी कुकी महिलाओं के साथ अभद्र यौन हिंसाचार का वीडियो वायरल होने के बाद मणिपुर के तमाम मसलों की मॉनिटरिंग सुप्रीम कोर्ट ने खुद अपने हाथ में ले ली है। शीर्ष अदालत ने ध्वस्त कानून व्यवस्था को लेकर बिरेन सिंग सरकार को कड़े शब्दों में फटकारा है। मणिपुर मामले को लेकर टीम इंडिया के सांसदों ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर हस्तक्षेप की मांग की है। मणिपुर में जारी नस्लीय हिंसाचार और महिलाओं के साथ हो रहे यौन अत्याचार के खिलाफ़ पूरे देश के आदिवासियों और बुद्धिजीवी वर्ग द्वारा एक सुर में यह मांग की जा रही है कि बिरेन सिंग सरकार को बर्खास्त कर वहां राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए।
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