नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
मंत्री गिरीश महाजन के गृह नगर जामनेर में प्रशासक बैठने के बाद नगर परिषद का सारा का सारा सिस्टम चरमरा गया है। पचास हजार की आबादी वाले जामनेर के रिहायशी इलाकों में आवारा कुत्तों और सुअरों की बढ़ती संख्या से इन जानवरों का आतंक बढ़ गया है। शायद प्रशासन की ओर से इस बात की प्रतिक्षा की जा रही है की इन जानवरों के हमलों में कोई मासूम ज़ख्मी हो या फिर जान गंवा बैठे फिर वह हरकत में आयेगा।!श 24/0 के लॉट में चुनकर आए सभी भाजपा नगरसेवक अपने अपने वार्ड से गायब हैं। अगर किसी नागरिक को अपने वार्ड के मेंबर से मिलना है तो उसको शनिवार और रविवार को जब मंत्री जी घर आते हैं तब उनके के बंगले पर याचक बनकर जाना पड़ता है। तमाम नगरसेवक महाजन को जीत का पासवर्ड समझकर अपने अपने वार्ड से पुनः टिकट पाने के जुगाड़ में लगे हैं। इस टिकट कांड के चलते आने-वाले दिनों में भाजपा के भीतर दो फाड़ साफ़ तौर पर नजर आ सकते है।
दो हिस्सों में बंटा विकास
शहर के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों से कुल सात नगरसेवक चुनकर आते हैं, वर्तमान में सभी भाजपा के हैं। इन इलाकों में बुनियादी सुविधाओं को मुहैया कराने को लेकर वसुदेव कुटुंबकम् वाले विकास जी को जहरीली दक्षिणपंथी सांप्रदायिक सोच ने काट लिया है। घरकुल में रहने वाले गरीबों की हालत तो इतनी गंभीर है की कोई भी नेता इनको वोट बैंक के अलावा देखता ही नहीं। गिरिजा कॉलोनी, आनंद नगर, शिवाजी महाराज नगर, वाकी रोड सारे के सारे नए इलाकों में आवारा पशुओं ने गदर मचा रखा है, बच्चों के स्कूल जाने से सुरक्षित घर आने तक अभिभावकों को चिंता लगी रहती है। लोग नगर परिषद को सूचना दे देकर थक चुके हैं, कोई सुनवाई नहीं। अब तो आम लोगों को इस अपराध बोध का अहसास होता है कि वह गिरीश महाजन के गृह नगर के निवासी हैं। स्वच्छ भारत अभियान, जवाहरलाल नेहरु नगरोथान, तमाम पे कमीशनस का करोड़ों रुपया आखिर गया कहा? बारामती के तर्ज पर भाषणों में किए जाने वाले विकास के इस चुनावी जुमला मॉडल से आम जनता काफी आक्रोशित है। समूचे महाराष्ट्र में मतदाता स्थानीय निकायों के चुनावों का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।
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