रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:
मेघनगर संयमी आत्माओं का जहां वर्षावास होता है, वह क्षेत्र स्वत ही धर्ममय हो जाता है।
वहां आराधनाओं का सिलसिला चलना स्वाभाविक है। क्योंकि उनका सानिध्य ही आराधना करने के लिए प्रेरणा रूप बन जाता है। वर्षावास के दौरान यहां अणु स्वाध्याय भवन मेघनगर पर धर्म, ध्यान, जप, तप, ज्ञान आदि विभिन्न आराधानाओं का मानो मेला लगा हुआ है। हर कोई अपनी शक्ति अनुसार आराधना में रम गया है।
यहां हो रही विभिन्न आराधनाएं वर्षावास हेतु विराजित जिनशासन गौरव आचार्यश्री उमेशमुनिजी के सुशिष्य धर्मदास गणनायक प्रवर्तक श्री जिनेंद्रमुनिजी के आज्ञानुवर्ती अणुवत्स संयतमुनीजी, जयन्तमुनिजी, शुभेषमुनिजी, अंचलमुनिजी ठाणा 4 के सानिध्य में हो रही है।
यहां एक पूर्ण एवं 4 से भी अधिक आराधक मासक्षमण की ओर गतिमान है। इसी के तहत यहां पर तपस्या में कई कीर्तिमान स्थापित कर चुकी तप चक्रेश्वरी नाम से शुशोभित मालवा डूंगर क्षेत्र में श्राविका मंडल की शान स्नेहलता हँसमुखलाल वागरेचा की 33 उपवास की कठोर तपस्या 1 अगस्त मंगलवार तक गतिमान है ओर तीन तपस्वी प्रीति मिथुन धोका, कु. दर्शाना नागिनलाल नाहटा एवं जैनेत्तर भाई सुमित ब्रिजवानी के 31 तपस्या पूर्ण हो रही है जिसका पारणा 2 अगस्त को होने जा रहा है। वर्षावास का यह क्रमशः तृतीय एक साथ तीन यानी कुल 5 मासक्षमण तप पूर्ण होंगें जिसका सर्वप्रथम प्रारंभ युवा तपस्वी कविंद्र धोका ने किया।
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